
Mata Vaishno Devi
नई दिल्ली। देश भर के भक्तों में मशहूर माता वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए यात्रियों को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इस मार्ग पर त्योहारों के समय काफी भीड़ देखने को मिलती है। ऐसे में सरकार काफी दिनों से बंद पड़े प्रचीन मार्ग को खोलने की तैयारी कर रही है ताकि भीड़ से होने वाली दिक्कतों को दूर किया जा सके।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नगरोटा से कटड़ा तक 25 किलोमीटर रास्ते पर कई प्राचीन मंदिर मौजूद हैं। मान्यता है कि इन मंदिरों के दर्शन किए बगैर मां वैष्णो देवी के दर्शन को अधूरा माना जाता है। यह मार्ग देश के विभाजन के बाद से बंद कर दिया गया था।
इसी मार्ग से त्रिकूट पर्वत पहुंची थीं माता
मान्यता के अनुसार इसी मार्ग से मां त्रिकूट पर्वत गईं थीं। इस मार्ग पर सबसे पहले दर्शन कौल कंडोली माता के होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में माता ने यहां पर पांच वर्ष की उम्र में कन्या के रूप में प्रकट हुईं। इसी स्थान पर 12 वर्ष तक तपस्या की और तपस्या वाले स्थान पर पिंडी रूप धारण किया। ऐसी मान्यता है कंडोली माता मंदिर के दर्शन किए बैगर यह यात्रा पूरी नहीं होती है।
कई प्राचीन मंदिर रास्ते में पड़ते हैं
इस प्राचीन मार्ग पर कई मंदिर हैं, जो काफी पुराने हैं। इनमें मां वैष्णो देवी मंदिर पंगोली, ठंडा पानी, शिवशक्ति मंदिर मढ़-द्रावी, राजा मंडलीक मंदिर, काली माता मंदिर गुण्डला, प्राचीन शिव मंदिर बम्याल, देवा माई शामिल हैं। मान्यता के अनुसार जम्मू से करीब आठ किमी दूर नगरोटा स्थित कोल कंडोली देवी मंदिर में प्रथम दर्शन कर ही दुर्गम यात्रा की शुरुआत की जाती है।
देवामाई-बम्याल के बीच शुरू हुआ काम
माता वैष्णो देवी के पारंपरिक रूट बम्याल में दो पुलों का निर्माण करवाकर कटड़ा को सीधे अखनूर, मथवार, पुंछ, राजौरी से जोड़ने की तैयारी की जा रही है। पांच किलोमीटर के इस मार्ग पर सेंट्रल रोड फंड के तहत काम चल रहा है।
Published on:
10 Apr 2018 10:50 am
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