
चिनूक हेलीकॉप्टर की पहली खेप पहुंचा भारत, वायुसेना की नई ताकत से घबराए दुश्मन देश
नई दिल्ली। रफाल सौदे को लेकर राजनीति गर्माई हुई है, लेकिन इसबीच वायुसेना को एक नई ताकत मिली है। दरअसल वर्षों इंजतार करने के बाद वायुसेना के बेड़े में चार चिनूक हेलीकॉप्टर को शामिल किया गया है। बता दें कि ये चारों चिनूक हेलीकॉप्टर रविवार को गुजरात के मुंद्रा हवाईअड्डे पर अमरीका से पहली खेप पहंचा। माना जा रहा है कि ये हेलीकॉप्टर भारतीय सेना की न केवल बल्कि दूसरे सेक्टरों के लिए भी गेम चेंजर साबित होगा।
क्या है चिनूक की खासियत
आपको बता दें कि CH-47F हेलीकॉप्टर चिनूक कई बार अपनी खासियतों के लिए चर्चा में रही है। यह आइकॉनिक ट्विन रोटोर चौपर युद्ध में क्षमता का प्रदर्शन दिखा चुकी है। अमरीका ने वियतनाम से लेकर अफगानिस्तान और इराक तक के युद्ध में चिनूक हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल किया है। यह हलीकॉप्टर 9.6 टन तक कार्गो ले जा सकता है। इसके अंदर भारी मशीनरी, आर्टिलरी बंदूकें और हाई अल्टीट्यूड वाले लाइट आर्मर्ड वीकल्स लगाए गए हैं। भारतीय वायुसेना में चिनूक के शामिल होने से पहाड़ी और दुर्गम इलाकों तक वायुसेना की पहुंच आसान हो गई है। बता दें कि मौजूदा समय में चिनूक दुनिया के सबसे भारी चौपरों में से एक है। इसे सबसे पहले 1962 में उड़ाया गया था।
2015 में भारत ने अमरीका से किया था करार
आपको बता दें कि वायुसेना की जरूरतों को देखते हुए भारत सरकार ने 2015 सितंबर में अमरीका से करार किया था। भारत के बोईंग और अमरीकी सरकार के बीच 15 चिनूक हेलीकॉप्टर्स खरीदने के लिए करार किए गए थे। इसके बाद से रक्षा मंत्रालय ने 2017 अगस्त में अमरीकी कंपनी बोइंग से 168 करोड़ रुपये की लागत से छह अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर, 15 चिनूक भारी मालवाहक हेलीकॉप्टर अन्य हथियार प्रणाली खरीदने के लिए मंजूरी प्रदान की थी।
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Updated on:
10 Feb 2019 09:16 pm
Published on:
10 Feb 2019 04:49 pm
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