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सात समंदर पार विदेशियों को लुभाने लगी भारतीय आम की मिठास

- पांच महीने में विदेश पहुंचे 27 हजार मीट्रिक टन आम

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सात समंदर पार विदेशियों को लुभाने लगी भारतीय आम की मिठास

सात समंदर पार विदेशियों को लुभाने लगी भारतीय आम की मिठास

नई दिल्ली। भारत के आमों की मिठास सात समंदर पार रहने वाले विदेशियों को भी लुभाने लगी है। पिछले पांच महीनों में ही भारत से 47.98 मिलियन अमरीकी डॉलर के आम विदेशों को निर्यात हो चुके हैं। पिछले साल हुए 40.33 मिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात के मुकाबले इस साल 19 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज हुई है। कई देश ऐसे भी हैं, जहां पहली बार भारतीय आम का निर्यात किया गया है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार गत अप्रेल से अगस्त माह तक भारत ने 27,330.02 मीट्रिक टन आम का निर्यात किया है। पिछले साल 22,963.78 मीट्रिक टन आम विदेश भेजे गए थे। अकेले अमरीका को इन पांच महीनों में 2043.60 मीट्रिक टन आम भेजे गए हैं। इसके अलावा जापान को 43.08 मीट्रिक टन, न्यूजीलैंड को 110.99 मीट्रिक टन व ऑस्ट्रेलिया को 58.42 मीट्रिक टन आम का निर्यात किया गया। पहली बार दक्षिण अफ्रीका को 4.44 मीट्रिक टन आम का निर्यात हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) व कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय आम के निर्यात को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसके तहत अमरीकी कृषि विभाग के पशु और पादप स्वास्थ्य निरीक्षण सेवा निरीक्षक को वाशी, नासिक, बेंगलुरु व अहमदाबाद स्थित किरणन केन्द्रों पर आम की पूर्व-निकासी के लिए आमंत्रित किया गया। इसी तरह दक्षिण कोरिया से भी निरीक्षकों को बुलाया गया। इसके बाद वहां भी 18.43 मीट्रिक टन आम निर्यात की सुविधा मिली है। भारत ने ईरान, मॉरीशस, चेक गणराज्य और नाइजीरिया जैसे 41 देशों में भी आम भेजे हैं।

यूं कर रहे आकर्षित

एपिडा आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारतीय दूतावासों के जरिए कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। ब्रुसेल्स स्थित भारतीय दूतावास में आम्रपल्ली, बंगनपल्ली, केसर और हिमसागर की किस्में प्रदर्शित कर लोगों को आम का स्वाद चखाया गया। वहां आम की लस्सी व हलवा भी परोसा गया। कुवैत व मलेशिया के कुआलालंपुर में भी केसर और बंगनपल्ली किस्म के आमों का प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा बहरीन को आम की 75 पूर्वी किस्मों के निर्यात की सुविधा प्रदान की गई। इनमें जीआई-टैग वाली पांच किस्में शामिल थीं।