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सुप्रीम कोर्ट : सरकार के ऊपर सुपर सरकार नहीं होनी चाहिए, ऐसी याचिका देखकर होता है दुख

सरकार के नीतिगत फैसलों पर विचार नहीं कर सकते केंद्र सरकार को इस मसले पर केवल सुझाव दे सकते हैं आजकल सभी लोग कोरोना विशेषज्ञ बन गए हैं

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सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा - हम सरकार के नीतिगत फैसलों पर विचार नहीं कर सकते।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के न्यायाधीश एनवी रमन्ना, न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश वीआर गवई की पीठ ने पूर्व आईपीएस अधिकारी भानुप्रतान बरगे की याचिका पर नाराजगी जाहिर करते हुए सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इसके बदले शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ता को सरकार के पास जाने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हर फैसले के खिलाफ अदालत का रुख कर लेने के ट्रेंड पर सख्त नाराजगी जताई। शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोरोना महामारी ( coronavirus Pandemic ) की वास्तविक स्थिति से सरकार बेहतर तरीके से अवगत है और अपना काम कर रही है। ऐसे में सरकार के ऊपर सरकार यानी ‘सुपर सरकार’ ( Super Government ) क्यों होनी चाहिए? यह समझ से परे है।

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यह टिप्पणी तीन सदस्यीय पीठ ने उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें कोरोना महामारी से लड़ रहे पुलिसकर्मियों के वेतन में कटौती को चुनौती दी गई थी। याचिका में यह भी कहा गया था कि अपनी जान जोखिम में लगाकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे पुलिसकर्मियों को इस काम के लिए अतिरिक्त भत्ता दिया जाना चाहिए। लेकिन पीठ ने कहा कि अनुच्छेद-32 के तहत नीतिगत फैसले से संबंधित होने के चलते ऐसी याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।

इससे पहले पूर्व आईपीएस अधिकारी भानुप्रताप बरगे की ओर से वरिष्ठ वकील देवदत कामत ने पीठ से कहा कि एक समान नीति होने के बावजूद कई राज्य पुलिस अधिकारियों का वेतन काट रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा कि यह नीतिगत मामला है। पीठ ने कहा कि यह सरकार पर निर्भर है कि वह इस पर विचार करे या न करे। इतना ही नहीं पीठ के सदस्य जस्टिस कौल ने सवाल पूछा, क्या अनुच्छेद-32 के तहत ऐसी याचिका दायर की जा सकती है।

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इस तरह की याचिका पर तल्ख टिप्प्णी करते हुए पीठ ने कहा कि सभी लोग कोरोना मामले में विशेषज्ञ बन गए है। कोरोना समस्या को छोड़ अन्य याचिकाएं नहीं आ रही हैं। जस्टिस कौल ने यह भी कहा कि सभी लोग कठिन वक्त से गुजर रहे हैं। सरकार स्थिति से अच्छी तरह अवगत है। बेहतर होगा कि सरकार को अपना काम करने दिया जाए।

पीठ के सदस्य जस्टिस कौल ने सवाल करते हुए पूछा कि क्या सरकार के ऊपर कोई सरकार नहीं होनी चाहिए। ऐसा लगता है कि लोगों के पास कोई काम नहीं है तो वह ऐसी याचिका दायर कर काम को ईजाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की याचिका देखकर हमें दुख होता है। इसके बाद पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीठ ने कामत से यह भी जानना चाहा कि किन राज्यों में पुलिसकर्मियों के वेतन में कटौती की गई है। कामत ने बताया कि राजस्थान, ओडिशा और तेलंगाना में ऐसा किया जा रहा है।

जस्टिस कौल ने पूछा कि क्या हम राज्यों को कोई निर्देश दे सकते हैं? अधिक से अधिक केंद्र सरकार को इस पर गौर करने के लिए कहा जा सकता है और वह भी सुझाव के तौर पर। इसके बाद कामत ने कहा कि 55 वर्ष से अधिक पुलिसकर्मियों को भी ड्यूटी करने के लिए बुलाया जा रहा है, जबकि उनमें कोरोना के संक्रमण का खतरा अधिक है।


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