राघवन का कहना है कि कोरोना की लहर और उसके आंकड़ों की बजाय इस पर चर्चा करना चाहिए कि आखिर लोकेशन, टाइमिंग और इसका असर क्या है। तीसरी लहर का असर इस पर निर्भर करता है कि कोरोना संकट से निपटने के लिए राज्य स्तर, जिला और स्थानीय स्तर पर गाइडलाइंस का किस तरह पालन किया जाता है। उन्होंने कहा कि कोरोना के ऐसे मामलों से आसानी से निपटा जा सकता है, जिनमें लक्षण देखने को नहीं मिल रहे हैं। यदि टेस्टिंग, ट्रीटिंग और कंटेनिंग के नियमों को फॉलो किया जाता है तो तीसरी लहर के असर को रोका जा सकता है। भले यह कठिन है, लेकिन कोरोना के असर से हमें बचना है तो ऐसा करना होगा।
मौके मिलने पर ही फैलता है कोरोना-
राघवन ने कहा, सीधी बात है कि कोरोना का संक्रमण उस वक्त तेजी से फैलता है, जब उसे मौका मिलता है। जब हम सावधानी बरतते हैं तो उसकी रफ्तार में कमी देखने को मिलती है।’ उन्होंने कहा वैक्सीनेशन तेज होगा और लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का सख्ती से पालन करेंगे तो कोरोना के फैलने की रफ्तार कम होगी। ढिलाई करने पर इजाफा संभव है।