31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

महात्मा गांधी की हत्या के पीछे ये है असली वजह, नाथूराम गोडसे ने सीने पर मारी थी तीन गोलियां

नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गांधी के सीने पर तीन गोलियां मारकर हत्या कर दी थी।

2 min read
Google source verification
महात्मा गांधी की हत्या के पीछे ये है असली वजह, नाथूराम गोडसे ने सीने पर मारी थी तीन गोलियां

महात्मा गांधी की हत्या के पीछे ये है असली वजह, नाथूराम गोडसे ने सीने पर मारी थी तीन गोलियां

नई दिल्ली। आज के दिन 15 नवंबर 1949 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को फांसी दी गई थी। नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गांधी के सीने पर तीन गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। बता दें कि सनातन परंपरा में कहा जाता है कि जब भी भगवान का नाम स्मरण किया जाएगा तो साथ में उसका नाम भी स्मरण किया जाएगा, जिसका संहार करने के लिए इस धरती पर वे अवतरित हुए। ठीक उसी तरह आज पूरी दुनिया महात्मा गांधी को जानती है लेकिन बहुत कम लोग हैं जो गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के बारे में जानते हैं। बहुत कम लोग यह भी जानते हैं कि क्यों नाथूराम गोडसे ने गांधी की हत्या कर दी, जबकि कहा जाता है कि गोडसे के पहले प्ररेणास्त्रोत गांधी ही थे।

गांधी जयंती 2018: हत्या के 10 दिन पहले भी महात्‍मा गांधी के ऊपर फेंका गया था बम

कट्टर हिन्दू समर्थक था गोडसे

आपको बता दें कि नाथूराम गोडसे एक कट्टर हिन्दू समर्थक था। उनका जन्म 19 मई 1910 को महाराष्ट्र के पुणे के पास बारामती में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। कहा जाता है कि महात्मा गांधी नाथूराम के पहले आदर्श थे। लेकिन पहली बार गांधी के सत्याग्रह आन्दोलन के कारण उसे जेल जाना पड़ा और यही वह पल था जिसके कारण नाथूराम के मन में गांधी के प्रति नफरत के भाव पैदा हुआ। कई ऐसे पल आए जब यह नफरत का भाव बढ़ता ही चल गया। इसके बाद उसने 1937 में वीर सावरकर को अपना गुरु मान लिया।

गांधी जयंती के दिन नाथूराम गोडसे की मूर्ति स्थापित कर रहे चार लोगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार मामला दर्ज

देश के बंटवारे से व्यथित था गोडसे

ऐसा कहा जाता है कि देश के बंटवारे से गोडसे व्यथित था। बंटवारे के कारण ही नाथूराम गोडसे के मन में गांधी के प्रति कटुता बढ़ती चली गई। इसके लिए जुलाई 1947 को गोडसे, उसके साथियों और तमाम हिंदूवादी नेताओं ने शोक दिवस मनाया। क्योंकि तमाम संगठनों और गोडसे का मानना था कि भारत के विभाजन और उस समय हुई साम्प्रदायिक हिंसा में लाखों हिन्‍दुओं की हत्या के लिए महात्मा गांधी जिम्मेदार हैं। इसलिए उनलोगों ने गांधी की हत्या के लिए एक प्लान बनाया। इसके तहत दिल्ली के बिड़ला भवन में प्रार्थना सभा खत्म होने के बाद जैसे ही महात्मा गांधी बाहर निकले उनके पैर छूने के बहाने गोडसे झूका और फिर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियां उनके सीने पर दाग दी। इसके बाद चौथी गोली उसके साथी नारायण दत्तात्रेय आप्टे ने मारी, जिससे उनकी मौत हो गई। गांधी की हत्या के बाद वे लोग वहां से भागे नहीं। तत्काल पुलिस ने गोडसे और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया। मुकदमा चलाने के बाद 15 नवंबर 1949 को अंबाला जेल में दोनों को फांसी दे दी गई। कहा जाता है कि नाथूराम गोडसे को बकौल, डोमिनिक लॉपियर और लैरी कॉलिन्स, पेरी मेसन की जासूसी कथाएं पढ़ने और बहादुरी के कारनामों पर आधारित फिल्में देखने का शौक था।