दरअसल, टोल प्लाजा और नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के अधिकारियों ने जब औचक जांच की, तो उन्हें पता चल कि टोल से पार होने वाली गाड़ी कोई और होती है, जबकि फास्टैग किसी और गाड़ी का लगा होता है। हालांकि, अभी जांच में सामने आया है कि यह कारनामा यूपी के कुछ टोल प्लाजा पर अंजाम दिया जा रहा है, जबकि अधिकारियों को शक है कि ऐसा देश के दूसरे राज्यों में भी टोल प्लाजा पर वाहन चालक कर रहे होंगे। मामले का खुलासा होने के बाद अधिकारियों ने अपनी जांच विस्तृत और तेज कर दी है।
अधिकारियों के मुताबिक, जब से फास्टैग अनिवार्य किया गया है, तब से टोल पर पैसा खुद-ब-खुद वाहन चालक के अकाउंट से कट जाता है। ऐसे में प्रक्रिया का फायदा उठाते हुए बड़ी गाड़ी के वाहन चालक अपनी गाड़ी पर किसी दूसरी छोटी गाड़ी का फास्टैग लगाकर टोल पार कर रहे हैं। ऐसा करके तीन से चार सौ रुपए तक की टैक्स चोरी कर रहे हैं, जबकि ऐसे कई वाहन चालक मिले, जो तरकीब को आजमा रहे हैं। इससे सरकार को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
उन्नाव के नवाबगंज टोल प्लाजा पर एक टैंकर गुजरा। इस पर जो फास्टैग लगा हुआ था, वह मिनी बस का था। ऐसा करके टैंकर चालक ने प्रति चक्कर 135 रुपए की टैक्स चोरी कर ली। बता दें कि टू एक्सेल वाले टैंकर को इस टोल पर 260 रुपए देने होते हैं, जबकि मिनी बस का फास्टैग का लगाकर उसने 125 रुपए में ही टोल पार कर लिया। ऐसा ही एक और टैंकर ने किया, जिससे करीब 25 हजार रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ। जब मामला खुला तो टोल अधिकारियों ने टैंकर संचालक से बतौर जुर्माना पूरी राशि वसूल की। ऐसे ही कुछ मामले प्रयागराज में भी सामने आए हैं।