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काकोरी कांड: अाजादी के परवानों ने पहले लूटा महारानी का खजाना, फिर हंसते हुए चूम लिया फांसी का फंदा

देश को आजादी दिलाने वाले क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्‍ला खान और ठाकुर रोशन सिंह ने आज के दिन 91 साल पहले खुशी फांसी के फंदे पर झूल गए थे।  

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काकोरी कांड: अाजादी के परवानों ने पहले लूटा महरानी का खजाना, फिर हंसते हुए फांसी को चूम लिया

नई दिल्‍ली। आज सवा करोड़ से ज्‍यादा भारतीय आजादी की आवोहवा में सांस लेते हैं लेकिन बहुत कम को पता है कि आज के दिन 91 साल पहले क्‍या हुआ था? जबकि इस बात को जानना सबके लिए जरूरी है। दरअसल, आज के ही दिन भारत को आजादी दिलाने के लिए हंसते-हंसते अमर क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्‍मिल, अशफाक उल्‍ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी को गले लगा लिया था। 19 दिसंबर 1927 को आज के ही दिन काकोरी कांड मामले में तीनों को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था। यही वजह है कि इस दिन को शहादत दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

93 साल पहले दी लूट कांड को अंजाम
आजादी के इन मतवालों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए फांसी पर चढ़ाया गया था। यही वजह है कि काकोरी कांड को हमेशा याद रखा जाएगा। ऐसा इसलिए कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए क्रांतिकारियों को हथियारों की आवश्यकता थी। उन्होंने ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटने की योजना बनाई। इस योजना के पीछे दिमाग राम प्रसाद बिस्मिल की थी। उन्‍होंने ही योजना बनाई थी। नौ अगस्त 1925 इन क्रांतिकारियों ने अंजाम दिया था। इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउजर पिस्टल भी इस्तेमाल किए गए और हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के केवल 10 सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था।

चेन पूलिंग कर रोकी ट्रेन
लूट को अंजाम देने के लिए हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन को चेन खींचकर रोक लिया। उसी वक्त क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, पंडित चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने 6 अन्य साथियों के साथ समूची ट्रेन पर धावा बोल दिया। इसी दौरान क्रांतिकारी मन्मथनाथ गुप्त ने उत्सुकतावश माउजर का ट्रिगर दबा दिया जिससे गोली चली और अहमद अली नाम के मुसाफिर को लग गई। उसकी मौत मौके पर ही हो गई। तभी सारे क्रांतिकारी चांदी के सिक्कों और नोटों से भरे चमड़े के थैले चादरों में बांधकर वहां से भाग गए।

सकते में आ गई थी अंग्रेजी हुकूमत
काकोरी कांड में सरकारी खजाना लुटने से अंग्रेजी हुकूमत सकते में आ गई थी। 26 सितंबर 1925 के दिन हिंदुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल 40 क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ राजद्रोह करने, सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने और मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया गया। बाद में राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई. इसमें राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को 19 दिसंबर को फांसी दे दी गई।