scriptआज विश्व नारियल दिवस है, जानें एक साधारण फल कैसे भारतीयों की जीवन में इतना महत्वपूर्ण हो गया? | Today is World Coconut Day, know how a simple fruit became so important in the life of Indians? | Patrika News

आज विश्व नारियल दिवस है, जानें एक साधारण फल कैसे भारतीयों की जीवन में इतना महत्वपूर्ण हो गया?

locationनई दिल्लीPublished: Sep 02, 2020 08:38:26 am

Submitted by:

Dhirendra

किचन से लेकर कारोबार तक में Coconut की अहमियत समान है।
भारत में नारियल आस्था और विश्वास का पर्याय भी है।
भारत पहुंचने के बाद पुर्तगालियों ने इसका नाम कोको रखा।

Coconut

किचन से लेकर कारोबार तक में Coconut की अहमियत समान है।

नई दिल्ली। भारतीय के जीवन में हमेशा से नारियल का अहम स्थान रहा है। एक यह पवित्र फल होने के साथ ही कई मायनों में सभी के लिए महत्वपूर्ण है। इसका आम जीवन में सामान्य जरूरतों से व्यावसायिक प्रयोग तक में यह एक जरूरी वस्तु है। किचन से लेकर पूजा पाठ तक में इसकी अहमियत किसी भी मायने में कम नहीं है।
खासकर भारत में तो अनादि काल से पूजा-पाठ, यज्ञ-अनुष्ठा, विधि-विधान सहित सभी प्रकार के धार्मिक कार्यों में भी यह आस्था और विश्वास का पर्याय रहे हैं। हर तरह के धार्मिक क्रियाकलापों में मुख्य रूप से श्रीफल के रूप में नारियल का उपयोग होता रहा है। भगवान गजराज की पूजा के साथ ही लोगों ने ‘आस्था चिह्न’ कलश की स्थापना भी की होगी। मान्यता यह है कि हिंदू धर्म में नारियल के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए हम आपको बता नारियल भारतीय के जीवन में इतना महत्वपूर्ण क्यों हैं?
चुनाव से पहले महागठबंधन होने लगा कमजोर, ये है बड़ी वजह

पूजा-पाठ से लेकर रोगनाशक भी है

दरअसल, आज विश्व नारियल दिवस ( World Coconut Day ) है। यही कारण है कि हम उस नारियल की तह में उतरने का प्रयास करने जा रहे हैं, जिसे लोग ऊपर से छील कर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। आम भाषा में नारियल पूजा-पाठ और खाने-पीने के काम आने वाला एक फल है। लेकिन यह पूजा पाठ तक ही सीमित नहीं है। इसके डाभ से बने व्यंजनों को बड़े चाव से खाते भी हैं। नारियल देर से पचने वाला, मूत्राशय शोधक, ग्राही, पुष्टिकारक, बलवर्धक, रक्तविकार नाशक, दाहशामक तथा वात-पित्त नाशक वस्तु भी है। नारियल की तासीर ठंड़ी होती है और इसे औषिधि के रिप में भी प्रयोग किया जाता है।
सत्यव्रत का सिर बन गया ‘श्रीफल’

एक पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भारत में नारियल का इतिहास सतयुग में हुए राजा सत्यव्रत से जुड़ा है। कौशल के राजा राजा सत्यव्रत का उल्लेख मत्स्य पुराण में भी मिलता है। सत्यव्रत एक प्रतापी राजा थे। सत्यव्रत के समकालीन राजर्षि विश्वामित्र एक बार तपस्या करने के लिए कहीं दूर चले गए। उनके क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा। उस समय राजा सत्यव्रत ने विश्वामित्र के परिवार की रक्षा की। इससे प्रसन्न होकर विश्वामित्र ने राजा को स्वर्ग जाने का वरदान दिया। परंतु देवताओं ने सत्यव्रत को स्वर्गलोक से बाहर निकाल दिया। क्रोधित विश्वामित्र ने राजा के लिए एक नया स्वर्ग लोक बनाने का आदेश दिया। नये स्वर्ग लोक के नीचे एक खंभे का निर्माण हुआ, जो बाद में एक मोटे पेड़ और राजा सत्यव्रत का सिर एक फल में बदल गया। कहते हैं कि यह फल ही श्रीफल कहलाया, जिसे हम नारियल कहते हैं।
NEP-2020 के विरोध में ममता सरकार की समिति, पश्चिम बंगाल में लागू न करने की दी सलाह

रामायण में भी है इसका जिक्र

इस तरह रामायण में भी नारियल का उल्लेख मिलता है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि नारियल का अस्तित्व तब से है, जब इस मानव की उत्पत्ति हुई।
पुर्तगालियों ने इसका नाम रखा कोको

इतिहास पर नज़र डालें तो 1521 में जब पुर्तगाल ( Portugal ) और स्पेन के खोजकर्ता समूद्र यात्रा पर निकले और खोज करते-करते हिंद प्रशांत महासागर के पास पहुंचे। समूद्र के किनारे उन्हें बहुत से लंबे-लंबे बेड़ दिखे, जिस पर फल भी लगे हुए थे। ये फल एक एक चेहरे के समान, तीन छिद्रों वाले थे। फलों की आकृति के अनुसार खोजकर्ताओं ने इस फल का नाम कोको रख दिया, जो हिन्दी में पहले से ही नारियल कहलाता है, वहीं पुर्तगाली लोककथाओं और गीतों में नारियल को भूत या चुड़ैल से जोड़ा जाता है।
दूसरी तरफ वैज्ञानिकों ने नारियल का वैज्ञानिक नाम Cocos Nucifera दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार नारियल ताड़ के पेड़ परिवार ( Arecaceae ) और जीनस Cocos की एकमात्र जीवित प्रजातियों का सदस्य है, जो वनस्पति रूप से एक बीज या फल है।
भारत में नारियल की खेती केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने होती है। नारियकल की अलग—अलग वस्तुएं बनाकर भी उपयोग किया जाता है। भारत ही नहीं, अपितु दुनिया में बड़े पैमाने पर इसका व्यापार भी होता है। नारियल से बनी वस्तुओं के निर्यात से भारत को लगभग 470 करोड़ रुपए की राष्ट्रीय आमदनी होती है।
नारियल दिवस कब से प्रचलन में आया

हर साल दो सितंबर को को विश्व नारियल दिवस ( World Coconut Day ) मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य नारियल की खेती को बढ़ावा देना और नारियल के महत्व को विश्व में पहुँचाना है, जिससे नारियल के कच्चे माल के निर्यात में वृद्धि के साथ-साथ नारियल उत्पाद करने वाले किसानों को भी फायदा मिल सके। विश्व नारियल दिवस मनाने की शुरुआत 1969 में एशियाई व प्रशांत नारियल समुदाय ( APCC ) ने की थी। इसी दिन इंडोनेशिया के जकार्ता में एपीसीसी की स्थापना हुई थी। तभी से विश्व नारियल दिवस मनाने का आरंभ हुआ और आज 51वें विश्व नारियल दिवस मनाया गया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो