
इंसानों के शरीर में मौजूद 'टूल किट' जरूरत पर पैदा कर सकती है जहर
नई दिल्ली। कई साल पहले 'जहरीला इंसान' नाम की फिल्म बनी थी। अब साबित हो गया है कि इंसान भी अपने शरीर में सरीसृपों की तरह जहर पैदा कर सकता है। अन्य स्तनधारी जीव भी इसमें पीछे नहीं है। इंसानों में तो बकायदा एक 'टूल किट' मौजूद है, जिसके जरिए वह यह काम कर सकता है। खास बात है कि यह अंग शरीर में जरूरत के हिसाब से विकसित होता है। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित ताजा शोध में यह दावा किया गया।
जापान के ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने शोध किया। वैज्ञानिकों ने ताइवान में भूरे रंग के पिट वाइपर की स्टडी से जांचना चाहा कि कौन-सा जीन जहर पैदा करने के लिए जरूरी होता है और सामान्य तौर पर यह कितने जीवों में पाया जाता है। शोध के सह-लेखक अग्नीश बरूआ ने बताया कि जंतु जगत में जीन्स के प्रभाव से लार ग्रंथियां 100 से ज्यादा बार विकसित हुई हैं या जरूरत के हिसाब से बदली हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि जुबानी जहर बनने के पीछे लार ग्रंथियों के विकास के साथ ही मॉलीक्यूलर मैकेनिक्स भी काम करती है। इंसानों में टूल किट मौजूद होने के बावजूद भी जहरीला रसायन नहीं बन पाता क्योंकि प्रकृति इलाज और सुरक्षा के लिए जीवों को जहर देती है। जहर किस तरह का होगा, यह जीव के रहन-सहन पर निर्भर करता है। इंसानों ने जहर बनाने की प्रक्रिया उत्पत्ति के दौरान ही खो दी थी। वे अपनी रक्षा, इलाज आदि अलग तरह से करते हैं।
हाउसकीपिंग जीन्स बनाता है प्रोटीन-
शोधकर्ता एलेक्जेंडर मिखेयेव के अनुसार इंसानों समेत कई जीवों में एक हाउसकीपिंग जीन्स होता है, जो विषाक्त पदार्थ शरीर के अंदर बनाता है, लेकिन यह जहर नहीं होता। इंसानों के थूक में विशेष कैलीक्रेन्स प्रोटीन निकलता है। कैलीक्रेन्स अन्य प्रोटीन पचाता है व आसानी से म्यूटेट नहीं होता। सांपों और अन्य जहरीले जीवों में यही प्रोटीन म्यूटेट हो जाता है, जो जहर बनाने का सिस्टम विकसित करता है।
कैलीक्रेन्स का है सारा खेल-
वैज्ञानिकों के अनुसार कैलीक्रेन्स जहरीले जीवों के जहर में जरूर मिलता है। यही प्रोटीन है, जो इंसानों में जहर पैदा करने की क्षमता रखता है। हालांकि इंसानों में यह आसानी से विकसित नहीं होता। पर आज भी इंसानों में जहर बनाने का टूल किट मौजूद है।
Published on:
31 Mar 2021 08:59 am
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