बवंडर ने फतेहपुर में आफत मचाने के बाद सीकर की तरफ अपना रुख किया। हालांकि बाद में उसकी गति धीमी पड़ गई, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार बवंडर इतना खतरनाक था कि इससे कई बिजली के तार टूट गए। इतना ही नहीं डर के चलते मार्केट भी बंद कर दी गई। रास्ते में आने—जाने वाले वहीं थम गए। बवंडर ने आधे घंटे तक कोहराम मचाया। बाद में हल्की बारिश के बाद धूल का गुब्बार कुछ कम हुआ तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली।
क्यों उठते हैं बवंडर?
समुद्र में तेज हवा के कारण लहरें ऊपर उठना शुरू कर देती हैं और आगे जाकर ये तूफान का रूप ले लेती हैं। ठीक वैसे ही रेगिस्तान में चलने वाली हवा से धूल के कणों की मात्रा बढ़ती जाती है। जब यह धूल आसमान में छा जाती है तब रेतीली तूफान (Dust Storm) बन जाती हैं। तेज हवा के साथ आगे बढ़ती ये धूल एक बवंडर का रूप धारण कर लेती है। रेगिस्तान में उठने वाले ये बवंडर कई बार मील लम्बे होते हैं।
समुद्र में तेज हवा के कारण लहरें ऊपर उठना शुरू कर देती हैं और आगे जाकर ये तूफान का रूप ले लेती हैं। ठीक वैसे ही रेगिस्तान में चलने वाली हवा से धूल के कणों की मात्रा बढ़ती जाती है। जब यह धूल आसमान में छा जाती है तब रेतीली तूफान (Dust Storm) बन जाती हैं। तेज हवा के साथ आगे बढ़ती ये धूल एक बवंडर का रूप धारण कर लेती है। रेगिस्तान में उठने वाले ये बवंडर कई बार मील लम्बे होते हैं।
हवा की नमी खत्म होने पर बनता है रेतीला तूफान
ज्यादातर रेगिस्तान भूमध्य रेखा के आस-पास है। इन क्षेत्रों में वायुमंडलीय दबाव जादा होता है। इससे ऊंचाई पर मौजूद ठंडी शुष्क हवा को जमीन तक लाता है। तभी सूरज की सीधी किरणें हवा की नमी (Moisture) को खत्म कर देती हैं। इससे हवा काफी गर्म हो जाती है। नमी के खत्म होते ही धूल के कणों की आपस में पकड़ नहीं रह पाती है। ऐसे में ये हवा के साथ बहुत ऊपर उठना शुरू कर देती है। धीरे-धीरे ये धूल कण एक बवंडर का रूप ले लेते है।
ज्यादातर रेगिस्तान भूमध्य रेखा के आस-पास है। इन क्षेत्रों में वायुमंडलीय दबाव जादा होता है। इससे ऊंचाई पर मौजूद ठंडी शुष्क हवा को जमीन तक लाता है। तभी सूरज की सीधी किरणें हवा की नमी (Moisture) को खत्म कर देती हैं। इससे हवा काफी गर्म हो जाती है। नमी के खत्म होते ही धूल के कणों की आपस में पकड़ नहीं रह पाती है। ऐसे में ये हवा के साथ बहुत ऊपर उठना शुरू कर देती है। धीरे-धीरे ये धूल कण एक बवंडर का रूप ले लेते है।