नेट न्यूट्रैलिटी शब्द आजकल काफी चलन में है। दरअसल, इसका अर्थ है मोबाइल पर बगैर भेदभाव के इंटरनेट आधारित सेवा देना। टेलीकॉम कंपनियां इसके खिलाफ हैं, लेकिन इसके हट जाने से आम आदमी को नुकसान होगा। यह शब्द पहली बार कोलंबिया विश्वविद्यालय के मीडिया विधि के प्राध्यापक टिम वू द्वारा 2003 में उपयोग किया गया था। दरअसल, अभी जब कोई उपभोक्ता किसी भी ऑपरेटर से डाटा पैक लेते हैं, तो वह उससे नेट सर्फिंग, वॉट्सऐप, वाइबर, स्काइप, वॉइस या वीडियो कॉल कर सकता है। अभी इस पर एक ही दर से शुल्क लगता है, जो इस पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति ने कितना डाटा उपयोग किया है।