इस प्रोजेक्ट के लिए रेलवे भारतीय (Indian Railway) अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (Space Research Institute) इसरो (ISRO) की मदद ली है। रेलवे अधिकारी के मुताबिक इस टेक्नोलॉजी (Technology) से ट्रेनों को ट्रैक (Train track) करने और उनमें मौजूद क्रू से बात करने में आसानी होगी।
30 सेकेंज में शेयर करेगा ट्रेन की जानकारी जानकारी के मुताबिक देश भर में रेलवे के 350 सेक्शन कंट्रोल हैं जिसमें कपिल जैसे अधिकारी बेहतर सटीक तरीके से रेल को चलाने के फैसले ले रहे हैं। इस कामकाज में उनकी मदद इसरो का गगन कर रहा है। गगन वास्तव में GPS एडेड GEO ऑगमेंटेड सिस्टम है। शुरुआत में इसे वायु क्षेत्र के लिए डेवलप किया गया था, लेकिन अब यह हर 30 सेकेंड में ट्रेन की स्पीड और लोकेशन की जानकारी शेयर करता है।
रेल मंत्री नेकिया ट्वीट इसे लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल (Railway Minister Piyush Goyal) ने ट्विटर (Twitter) पर ट्विट कर बताया कि ”ट्रेन परिचालन की दक्षता में सुधार करते हुए, रेलवे ने ट्रेनों की सैटेलाइट ट्रैकिंग शुरू की है। दिसंबर 2021 तक, पूरे माल और यात्री रेल परिचालन को ISRO की मदद से उपग्रह के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा।”
ट्रेन हादसों को रोकने में मिलेगी मदद जानकारी के मुताबिक रेलवे ने कई ट्रेन के इंजनों में इसरो (ISRO) के बनाए हुए IC चिप इंस्टाल किए हैं, जिसे ‘नाविक’ (NAVIC) सैटेलाइट सिस्टम से जोड़ा गया है। रेलवे मानवरहित क्राॅसिंग (Railway unmanned crossing) पर एक अलर्ट सिस्टम (Alert system) लगाएगा। सैटेलाइट ट्रैकिंग के जरिए ट्रेनों के आते समय एक तेज हूटर बजेगा, जिससे क्रॉसिंग पार करने वालों को अलर्ट किया जा सकेगा। इस तकनीक से ट्रेन हादसों को रोकने में भी मदद मिलेगी।
जानिए, इशकी खासियत – नई प्रणाली से रेलवे को अपने नेटवर्क में ट्रेनों के संचालन के लिए अपने कंट्रोल रूम, रेलवे नेटवर्क को आधुनिक बनाने में मदद मिल रही है।
– यह डिवाइस ही ट्रेनों की चाल और पोजीशन के बारे में बता रही है।
– सूचना और तर्क के अनुप्रयोग पर आधारित युक्ति डिवाइस ट्रेनों के आवागमन से संबंधित आगमन, प्रस्थान, तय की गई दूरी, अनिर्धारित ठहराव और सेक्शन के बीच की जानकारी पहुंचा रही है।