Two main reasons of rapid increase in Coronavirus cases in India, tells AIIMS Director Guleria
नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस की नई लहर बेहद खतरनाक साबित हो रही है और देश में रोजाना रिकॉर्डतोड़ नए मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि इसके पीछे क्या कारण है, इसका जवाब हर कोई जानना चाहता है। शनिवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बेहद तेजी से सामने आते नए मामलों के पीछे के दो महत्वपूर्ण कारण बताए।
जरूर पढ़ेंः कोविड मरीजों की सच्चाई बताती इस लेडी डॉक्टर की पोस्ट वायरल, पढ़कर नहीं रुकेंगे आंसू समाचार एजेंसी एएनआई को दिए गए एक साक्षात्कार में एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह देखते हुए कि COVID-19 मामलों में तेजी से बढ़ोतरी के कारण स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर “भारी दबाव” पड़ रहा है, ऐसे में देश को नए केस की संख्या में कमी लाने के लिए छह-सात महीने पहले अपनाई जाने वाली सभी रणनीतियों को फिर से अपनाने की जरूरत है।
डॉ गुलेरिया ने कहा कि कोरोना वायरस के तेजी से फैलने का कारण “मल्टी-फैक्टोरियल” यानी कई कारण हैं। उन्होंने आगे कहा, “लेकिन दो मुख्य कारण हैं कि जब जनवरी और फरवरी में टीकाकरण शुरू हुआ और मामलों में कमी आई, तो लोगों ने COVID को लेकर अपनाए जाने वाले उचित व्यवहार का पालन करना बंद कर दिया और इस समय वायरस उत्परिवर्तित (म्यूटेट) हो गया और यह अधिक तेजी से फैल गया।” देश में बीते 16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था।
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि अगर कोविड-19 के 15 प्रतिशत मामलों में अस्पताल में देखभाल की आवश्यकता होती है और एक व्यक्ति औसतन पांच से सात दिनों के लिए भर्ती होता है, तो अस्पताल के बेड भर जाते हैं और अधिक मरीजों के आने से अस्पताल के पूरी तरह बेड भरे हो सकते हैं।
जरूर पढ़ेंः अब और भी ज्यादा खतरनाक हो गया कोरोना वायरस, डॉक्टरों को दिखे ऐसे केस कि नहीं हो रहा यकीन उन्होंने कहा, “वर्तमान में हम न केवल रिकॉर्डतोड़ संख्या देख रहे हैं, बल्कि हम स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर भी भारी दबाव देख रहे हैं। क्योंकि कोई भी स्वास्थ्य प्रणाली इतने सारे मरीजों का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं होगी। और हमारे पास मरीज प्रबंधन के मामले में संकट होगा। डॉक्टर्स पहले से ही अधिक बोझ में हैं। वे एक साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं और इसमें अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हैं।”
उन्होंने कहा कि मामलों की बढ़ती संख्या के लिए अस्पताल के बेड और संसाधनों को बढ़ाने की आवश्यकता है। डॉ. गुलेरिया बोले, “हमें तत्काल COVID-19 मामलों की संख्या में कमी लानी होगी।” डॉ. गुलेरिया ने वायरस को काबू में करने के लिए एक साथ कई दिशाओं से हमले करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, “उन सभी रणनीतियों पर वापस जाने की आवश्यकता है जो हम मामलों की संख्या को कम करने के लिए छह-सात महीने पहले अपना रहे थे। पिछली बार के कुछ हफ्तों या महीनों के बजाय बहुत कम दिनों में मामलों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।”
जरूर पढ़ेंः कोरोना से ठीक होने वाले लोगों को अपना शिकार बना रहा यह खतरनाक वायरस, डॉक्टर्स हुए हैरान कुछ लोगों में कोरोना वैक्सीन लेने के बाद भी उन्हें पॉजिटिव पाया जा रहा है, के बारे में उन्होंने बताया, “वैक्सीन एक व्यक्ति को अधिक गंभीर बीमारी से बचाती है, लेकिन यह आपको संक्रमण से पूरी तरह से नहीं बचाती है। हमें याद रखना होगा कि कोई भी टीका 100 प्रतिशत कारगर नहीं है। आपको संक्रमण हो सकता है लेकिन हमारे शरीर में एंटीबॉडी वायरस को कई गुणा बढ़ने नहीं देंगी और आपको गंभीर बीमारी नहीं होगी।”
एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा समय है जब देश में बहुत सारी धार्मिक गतिविधियां होती हैं और चुनाव भी चल रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमें समझना चाहिए कि जीवन भी महत्वपूर्ण है। हम इसे प्रतिबंधित तरीके से कर सकते हैं ताकि धार्मिक भावनाएं आहत न हों और COVID के उचित व्यवहार का पालन किया जा सके।”
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि इस बात का कोई सीधा जवाब नहीं है कि भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर कब तक जारी रहेगी और यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितना जल्दी और प्रभावी ढंग से वायरस का प्रसार रोकते हैं। दिल्ली की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि शहर में छह-सात महीने पहले की स्थिति की तुलना में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, “बहुत सारे कंटेनमेंट जोन बनाए गए थे और उन इलाकों में मिनी-लॉकडाउन की तरह के हालात थे। हमें उन्हीं रणनीतियों को देखना शुरू करना होगा।”