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प्यार करने पर कॉलेज ने किया था सस्पेंड, हाईकोर्ट ने कहा- स्टूडेंट्स को नहीं निकाल सकते संस्थान

केरल के सीएचएमएम कॉलेज फॉर अडवांस्ड स्टडीज संस्थान में 20 साल की लड़की और 21 साल के लड़के के बीच प्रेम संबंध थे। पता चलने पर कॉलेज ने सस्पेंड कर दिया।

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Kapil Tiwari

Jul 22, 2018

Kerala HC

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तिरुवनंतपुरम। शिक्षण संस्थान में 20 वर्षीय लड़की और 21 साल के लड़के बीच प्रेम संबंधों की वजह से दोनों को कॉलेज से निष्कासित कर दिया। साल 2017 के इस मामले में केरल हाईकोर्ट ने शनिवार को अपना फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट की टिप्पणी भी बेहद दिलचस्प है। दरअसल, मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था, जहां अदालत ने इस केस को लेकर फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि शिक्षण संस्थान इस तरह के फैसले नहीं ले सकते, लड़का-लड़की के बीच अगर कॉलेज में प्रेम संबंध बनते हैं तो उसकी वजह से उन्हें कॉलेज से निकालना गलत है। हाई कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति की निजता और स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए और शिक्षण संस्थानों को उन पर 'नैतिक पाबंदी' लगाने का अधिकार नहीं है।

प्यार अंधा होता है, कॉलेज से निकालना गलत है- हाईकोर्ट

आपको बता दें कि इस केरल के इस मामले में कॉलेज प्रशासन ने छात्र और छात्रा को निष्कासि कर दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है, 'प्यार अंधा होता है और एक सहज मानव वृत्ति है। यह व्यक्तियों और उनकी स्वतंत्रता से जुड़ा है।' हाई कोर्ट ने कहा कि छात्रों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती, क्योंकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उनका संबंध किसी भी तरह से सीखने के लिए एक अनुकूल माहौल को प्रभावित करता है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, ये मामले केरल के सीएचएमएम कॉलेज फॉर अडवांस्ड स्टडीज संस्थान का है, जहां बीबीए की छात्रा मालविका बाबू और उसके सीनियर व्याशक को 2017 में कॉलेज से निकाल दिया गया था। जानकारी के मुताबिक, दोनों के बीच प्रेम संबंध थे और इसके खिलाफ कॉलेज के साथ-साथ लड़का-लड़की के माता-पिता भी थे। इस दौरान मलाविका और व्याशक दोनों घर से भाग गए थे। तब मालविका की मां ने उसके लापता होने की शिकायत दर्ज करवाई थी और दोनों को मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था। हालांकि, मालविका के माता-पिता ने बाद में अपनी शिकायत वापस ले ली।

हाईकोर्ट ने दिए हैं ये निर्देश

अदालत ने कहा कि एक संस्थान को चलाने के लिए मिले अधिकारों में छात्रों के बीच अनुशासन को लागू करना भी उनकी जिम्मेदारी है। याचिकाकर्ताओं के वकील श्याम जे सैम ने बताया कि व्याशक ने कॉलेज छोड़ने का फैसला किया है और कॉलेज से अपने रेकॉर्ड्स की वापसी की मांग की है। हाई कोर्ट ने केरल विश्वविद्यालय को दो सप्ताह में मालविका को फिर से पढ़ने की अनुमति देने और कॉलेज को व्याशक के रिकॉर्ड्स वापस करने के निर्देश दिए हैं।


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