
पीएमओ के निर्देश पर रेलवे का यू-टर्न, अब बड़े स्टेशनों पर ही होगा एस्केलेटर की व्यवस्था
नई दिल्ली। रेलवे अब देश के कुछ चुनिंदा बड़े स्टेशनों पर ही एस्केलेटर लगवाएगी। दरअसल रेलवे ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से मिले निर्देश के बाद ज्यादा से ज्यादा स्टेशनों पर एस्केलेटर की सुविधा प्रदान करने के अपने फैसले को बदल लिया है। अब रेलवे केवल उन्हीं स्टेशनों में एस्केलेटर की सुविधा देगी जहां पर यात्रियों की आवाजाही कम से कम एक लाख है, जबकि पहले यह सीमा 25,000 तय की गई थी। अब मोदी सरकार के इस फैसले के बाद से कई नए स्टेशनों पर एस्केलेटरों की सुविधा नहीं हो पाएगी जबकि सभी बड़े स्टेशनों पर यह सुविधा पहले से ही मौजूद है।
इससे पहले मोदी सरकार ने सबी स्टेशनों में एस्केलेटर लगाने की घोषणा की थी
आपको बता दें कि रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘हालिया दिशानिर्देश के अनुसार, हम जरूरतों की समीक्षा कर रहे हैं और उसके अनुसार नए एस्केलेटर लगाए जाएंगे।’इससे पहले मोदी सरकार ने एक फैसले के तहत स्टेशनों पर बेहतर सुविधा प्रदान करने के मकसद से वृद्ध व शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के साथ साथ अन्य रेलयात्रियों के आवागमन सुचारु बनाने के लिए देशभर में करीब 2,500 एस्केलेटर लगाने की घोषणा की थी। बता दें कि एक एस्केलेटर लगाने पर रेलवे को एक करोड़ रुपये की लागत आती है। रेलवे का अनुमान था कि बड़े पैमाने पर एस्केलेटर लगाए जाने से इसकी लागत में कमी आएगी।
पीएमओ ने बताया लाभप्रद नहीं है सभी स्टेशनों में एस्केलेटर लगाना
आपको बता दें कि सरकार के पहले की नीति के अनुसार 25,000 यात्रियों के आवागमन वाले स्टेशनों पर एस्केलेटर लगाए जाने के प्रावधान पर अमल करने से ज्यादा स्टेशनों का चयन किया जाता। इससे पहले आठ करोड़ से 60 करोड़ सालाना राजस्व वाले स्टेशनों पर इस सुविधा का प्रावधान था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में इसी वर्ष अप्रैल में हुई समीक्षा बैठक में बड़े पैमाने पर एस्केलेटर लगाए जाने की योजना को लाभप्रद नहीं बताते हुए सिर्फ भीड़-भाड़ वाले बड़े स्टेशनों पर लगाए जाने की बात कही गई। इस फैसले के बाद से अब कई नई रेलवे स्टेशनों में स्केलेटर की सुविधा नहीं होगी। हालांकि इस फैसले के कुछ अपवाद राज्यों के राजधानियों और जोनल स्तर के स्टेशनों में जरूर देखने को मिल सकते हैं। लेकिन कहा गया है कि इसमें भी प्रधानमंत्री या रेलमंत्री द्वारा घोषणा किए जाने के बाद ही लगाए जाएंगे। इनके अलावा संसदीय समिति या चुने गए प्रतिनिधि की विशेष मांग पर भी इसकी व्यवस्था हो सकती है।
Published on:
15 Jun 2018 09:17 pm
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