22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

UGC Exam Guidelines 2020: सुप्रीम कोर्ट में फाइनल ईयर परीक्षा मामले पर सुनवाई आज

Highlights याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील श्याम दीवान ने शीर्ष अदालत (Supreme Court) से कहा था कि फाइनल ईयर के छात्रों की सेहत भी उतनी ही अहमियत रखती है, जितनी अन्य बैच के छात्रों की। यूजीसी (UGC) ने कहा कि वे एक स्वतंत्र संस्था है। यूनिवर्सिटी में में परीक्षाओं के आयोजन की जिम्मा उनके पास है।

2 min read
Google source verification
UGC and Supreme Court

फाइनल ईयर परीक्षा मामले पर सुनवाई आज।

नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की संशोधित नियमावली और फाइनल ईयर परीक्षाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं की सुनवाई आज होगी। इससे पहले 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई को 18 अगस्त के लिए टाल दिया था।

14 अगस्त को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील श्याम दीवान ने शीर्ष अदालत से कहा था कि फाइनल ईयर के छात्रों की सेहत भी उतनी ही अहमियत रखती है, जितनी अन्य बैच के छात्रों की। उन्होंने दलील दी थी कि इन दिनों छात्रों को ट्रांसपोर्टेशन व कम्युनिकेशन से संबंधि कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र के कई कॉलेज कोरोना वायरस (Coronavirus) के मरीजों को लिए क्वारंटाइन (Qurantine) केंद्र के तौर पर उपयोग किए जा रहे हैं।

इससे पहले गुरुवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से अपने हलफनामे में उच्चतम न्यायालय से कहा था कि छात्रों के अकादमिक करियर में अंतिम परीक्षा अहम होती है। यूजीसी ने कहा कि वे एक स्वतंत्र संस्था है। यूनिवर्सिटी में में परीक्षाओं के आयोजन की जिम्मा उनके पास है न कि किसी राज्य सरकार के पास। यूजीसी ने अपने हलफनामे में दोहराया है कि वह सितंबर तक परीक्षाओं के आयोजन के हक में हैं। इस मामले में राज्य सरकार यह नहीं कह सकती कि कोरोना महामारी के कारण 30 सितंबर तक विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से परीक्षा कराने को कहने वाले उसके छह जुलाई के निर्देश बाध्यकारी नहीं है।

गौरतलब है कि 10 अगस्त को यूजीसी ने कोरोना महामारी के कारण दिल्ली और महाराष्ट्र सरकारों द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षा रद्द करने के फैसले पर सवाल उठाया था। इसे नियमों के विपरीत बताया गया। महाराष्ट्र सरकार के हलफनामे का जवाब में यूजीसी ने कहा कि यह सही नहीं है कि छह जुलाई को जारी उसका संशोधित दिशा-निर्देश राज्य सरकार और उसके विश्वविद्यालयों के लिए बाध्यकारी नहीं है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 10 अगस्त को शीर्ष अदालत से कहा कि राज्य सरकारें आयोग के नियमों में बदलाव नहीं ला सकती हैं, क्योंकि यूजीसी ही डिग्री देने के नियम तय करने के लिए अधिकृत है। मेहता ने न्यायालय को बताया कि अब तक करीब 800 विश्वविद्यालयों में 290 में परीक्षाएं कराई जा चुकी हैं। वहीं 390 परीक्षा कराने की प्रक्रिया में हैं।