16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Uttarakhand Tragedy: आपदा के सातवें दिन भी जारी रेस्क्यू ऑपरेशन, इस काम के लिए बनाया जा रहा ‘बैली’ ब्रिज

Uttarakhand Tragedy के सातवें दिन भी जारी है बचाव कार्य बीआरओ की ओर से बनाया जा रहा है बैली ब्रिज ड्रोन कैमरा दूसरी सुरंग के अंदर भेजकर वास्तविक स्थिति का होगा आंकलन

2 min read
Google source verification

image

Dheeraj Sharma

Feb 13, 2021

Uttarakhand Tragedy

उत्तराखंड त्रासदी के सातवें दिन भी जारी बचाव कार्य

नई दिल्ली। उत्तराखंड के चमोली में बीते रविवार आई आपदा ( Uttarakhand Tragedy ) के सातवें दिन भी बचाव कार्य जारी है। तपोवन स्थित सुरंग मे फंसे मजदूरों को निकालने के लिए दिन रात रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

अब आपदा प्रभावित चमोली में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बैली ब्रिज बनाया जा रहा है। बीआरओ के कर्नल बृजेंद्र सिंह सोनी ने बताया कि इस ब्रिज को सबसे तेजी से यहां बनाया जा सकता है। इसके बाद स्थायी रूप से यहां पुल बनाए जाएंगे।

एस्ट्रोनॉमर्स को मिली बड़ी कामयाबी, अंतरिक्ष में खोज निकाला सबसे दूर पाया जाने वाला पिंड फारफारआउट

यह ब्रिज 200 फीट लंबा है। बाधाओं के बावजूद, इसे बनाने के लिए बीआरओ दिन-रात काम कर रहा है। वहीं तपोवन सुरंग में 300 एमएम की छड़ से ड्रिल करने के लिए मशीनें तपोवन पहुंच गई हैं।

एनटीपीसी के अधिकारी के मुताबिक अब बड़ी मशीन से सुरंग के अंदर ड्रिल किया जाएगा। जहां से ड्रोन कैमरा दूसरी सुरंग के अंदर भेजा जाएगा।

वहीं मरीन कमांडो, एसडीआरएफ, पुलिस के माध्यम से रैणी तपोवन से श्रीनगर डैम तक पूरे नदी किनारे सर्च ऑपरेशन लगातार जारी है।

हरिद्वार तक बढ़ा सर्च ऑपरेशन
उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि शुक्रवार को एसडीआरएफ की टीम ऋषिगंगा झील का निरीक्षण करने गई थी। झील से पानी का रिसाव हो रहा है। अब खतरे की कोई बात नहीं है। मैणाणा में शुक्रवार को शव मिलने के बाद सर्च अभियान को हरिद्वार तक बड़ा दिया गया है।

तपोवन सुरंग में शनिवार को सुबह 5:00 बजे से ड्रिल का कार्य शुरू हो गया था, लेकिन सुबह 9:00 बजे ड्रिल का मैकेनिकल पाइप फट गया।

मशीन में दूसरा मैकेनिकल पाइप जोड़ने के बाद फिर टनल में ड्रिल कार्य शुरू हो गया है। रेस्क्यू इंजीनियरिंग की टीम की ओर से 13 मीटर तक भूमि के अंदर ड्रिल कर दिया गया है।

जिस मुख्य टनल से ड्रिल किया जा रहा है, उसके नीचे 13 मीटर की दूरी पर एक दूसरी टनल है। उस टनल में मलवा और पानी की मौजूदगी पता की जा रही है।

इसरो ने रचा इतिहास, 50 वर्ष में पहली बार किया कुछ ऐसा कि अब हर कोई कर रहा गर्व

वहीं सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि चमोली में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं।राहत एवं बचाव कार्यों में और तेजी आ सके इसके लिए अलग-अलग फोर्स एवं अधिकारियों को जिम्मेदारियां दी गई है।

केन्द्र सरकार का भी इस आपदा में बचाव एवं राहत कार्यों में राज्य को पूरा सहयोग मिल रहा है।