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गया रोडरेज: आदित्य हत्याकांड में आज आएगा फैसला, JDU की पूर्व MLC का बेटा है आरोपी

19 अक्टूबर 2016 को रॉकी यादव को पटना हाईकोर्ट ने दे दी थी जमानत, लेकिन बाद में बिहार सरकार की चुनौति के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जमानत को किया था खारिज

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Chandra Prakash Chourasia

Aug 31, 2017

aditya sachdeva case

पटना: बिहार के चर्चित आदित्य हत्याकांड में सेशन हाईकोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगी। बिहार के गया में हुए इस रोड रेज के मामले में JDU की पूर्व MLC मनोरमा देवी का बेटा रॉकी यादव आरोपी है। घटना के बाद मनोरमा देवा को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया था। रॉकी पर आरोप है कि 7 मई 2016 को गया में रोड रेज की घटना के दौरान उसने 12वीं कक्षा के छात्र आदित्य सचदेवा की हत्या कर दी थी।

ओवरटेक करने पर मारी थी गोली

आपको बता दें कि रॉकी यादव ने कथित तौर पर उसकी एसयूवी को एक कार से ओवरटेक करने पर उसने आदित्य सचदेवा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। घटना के वक्त आदित्य अपने दोस्त नासिर हुसैन, मो कैफी, आयुष अग्रवाल और अंकित अग्रवाल के साथ गया से एक पार्टी के बाद लौट रहा था। रॉकी यादव को 11 मई 2016 को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। वहीं फैसले की घड़ी नजदीक आने को लेकर आदित्य सचदेव की मां ने उम्मीद जताई है कि अदालत से उनको इंसाफ मिलेगा।

तय सीमा से पहले आएगा फैसला

गुरुवार को इस मामले में अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश (एडीजे) सच्चिदानंद सिंह फैसला सुनाएंगे। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में फैसला सुनाने की तय सीमा 5 सितंबर रखी थी। तय सीमा से पांच दिन पहले ही कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। इस केस में उस वक्त अहम मोड़ आ गया था, जब पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी के द्वारा रॉकी यादव को दी गई जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। पटना हाईकोर्ट के फैसले को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

गवाहों ने बदल लिए थे बयान

इस केस के ट्रायल के दौरान आदित्य के दोस्त घटना के वक्त चश्मदीद थे, लेकिन चारों दोस्तों और घटना के वक्त मौके पर मौजूद एक पुलिस कॉन्सटेबल ने दबाव में आकर अपने बयान बदल लिए थे। इन सभी चश्मदीदों ने रॉकी यादव को पहचानने से इनकार कर दिया था। ऐसे में गवाहों के बयान के बयान से पलट जाने से केस में नया मोड़ आ गया था। इसके बाद काफी कुछ सबूत जैसे कि रॉकी यादव की पिस्टल से चली गोली और घटना के वक्त उसके मोबाइल फोन की लोकेशन और फॉरेंसिक रिपोर्ट पर मामला टिक गया था। केस के निपटारे के कुछ हफ्ते पहले ही एडीजे एसपी मिश्रा की अदालत से ये केस एडीजे सच्चिदानंद की अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया था।

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