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कोरोनावायरस से ज्यादा खतरनाक अफवाहें, विदेश से आई इस नई बीमारी को लेकर लोगों में तरह-तरह की आशंकाएं

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) में बनाया गया कंट्रोल रूम अब तक 22 हजार से ज्यादा ई मेल और 30 हजार से ज्यादा कॉल आ चुके पूछ रहे- अंडा खाने या पालतू कुत्ता रखने से तो कोरोना नहीं होगा

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कोरोनावायरस से ज्यादा खतरनाक अफवाहें, विदेश से आई इस नई बीमारी को ले कर लोगों में तरह-तरह की आशंकाएं

मुकेश केजरीवाल

नई दिल्ली। “मैंने दो अंडे खाए थे, मुझे कोरोना तो नहीं हो जाएगा? किसी ने बताया है कि यह बीमारी जानवरों से ही आई है...” राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC ) के विशेष कोरोना कंट्रोल रूम में लगातार बज रही फोन की घंटियों में से एक पर यह सवाल पूछा जा रहा है। विदेशों से आई एकदम नई महामारी कोरोना यानी कोविड-19 को ले कर भारत के लोगों में तरह-तरह की आशंकाएं फैल रही हैं। साथ ही कई तरह की अफवाहें भी लोगों के बीच पहुंच रही हैं। ऐसे में एनसीडीसी की ओर से एक विशेष कंट्रोल रूम बना कर चौबीस घंटे लोगों के सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं।

बीमारी से ज्यादा अफवाहें भी खूब फैल रही- डॉक्टर

एनसीडीसी के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार सिंह ने ‘पत्रिका’ से बातचीत में बताया कि अब तक यहां 30 हजार से ज्यादा फोन कॉल और 22 हजार से ज्यादा ई मेल आ चुके हैं। चूंकि इन दिनों मौसम बदल रहा है और लोगों में सर्दी-जुकाम के लक्षण आम हैं। लोगों के सबसे ज्यादा सवाल यही आते हैं कि क्या उनको कोरोना हो गया है। लेकिन यहां आने वाले कॉल का विश्लेषण करने से पता चलता है कि लोगों को इस संबंध में बहुत सी भ्रांतियां भी हैं और अफवाहें भी खूब फैल रही हैं। डॉ. सिंह बताते हैं कि कई लोग पूछते हैं उन्हें पालतू कुत्ते या बकरी आदि जानवरों को रखने से तो यह बीमारी नहीं हो जाएगी।

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बड़ी संख्या में लोग यात्रा को लेकर ले रहे जानकारी

यहां लोगों के ईमेल का जवाब दे रहीं डॉ. शैलजा बताती हैं कि बड़ी संख्या में लोग यात्रा को ले कर जानकारी चाहते हैं। क्योंकि पिछले कुछ दिनों के दौरान सरकार ने ट्रैवल एडवाइजरी यानी विदेश यात्रा संबंधी दिशा-निर्देश में काफी बदलाव किए हैं। कंट्रोल रूम का काम देख रहे ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. टी. जे थॉमस बताते हैं कि अब यहां रोजाना 3400 फोन कॉल और 1800 ईमेल आ रहे हैं। इनमें काफी संख्या विदेशों में बसे भारतीयों की भी है।

इस कॉल सेंटर की शुरुआत पांच लाइनों के साथ की गई थीं, धीरे-धीरे इसे बढ़ा कर अब 30 लाइनों का कर दिया गया है। हिंदी और अंग्रेजी में यह चौबीसों घेंटे चल रही हैं। इसके अलावा राज्यों को भी स्थानीय भाषा में ऐसे सेंटर खोलने में मदद की जा रही है।

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नंबर मिलता क्यों नहीं?
यहां 30 लाइनें चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। यह हंटिंग लाइन सिस्टम है। सारी लाइनें व्यस्त रहीं तो कॉल करने वाले को घंटी सुनाई देगी। ऐसे में दुबारा फोन करें।

बेंगलूरू में दम तोड़ने वाले मरीज की पुष्टी में इतना समय क्यों?
ऐसे मामलों में सौ फीसदी निश्चित हो जाना जरूरी होता है। यह पहली मृत्यु थी। सैंपल लिया जा चुका था। वे 76 साल के बुजुर्ग थे। उन्हें अस्थमा और हाइपरटेंशन था। 70 वर्ष से अधिक उम्र के समूह में मृत्यु दर चीन में भी काफी रही है। दुनिया भर में यह 16 से 17 प्रतिशत तक है।