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चंद्रयान-2 को मिली बड़ी कामयाबी, ऑर्बिटर से अलग हुआ विक्रम लैंडर, अगले 20 घंटे होगा ये काम

Chandrayaan 2 को लेकर आई सबसे बड़ी खबर ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हुआ विक्रम लैंडर कल बदल जाएगी लैंडर की दिशा, होगा बड़ा फायदा

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नई दिल्ली। मिशन चांद पर निकले चंद्रयान-2 को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। आज चंद्रयान ने सफलतापूर्व विक्रम लैंडर को सफलतापूर्वक अलग कर दिया। यही नहीं चंद्रयान के चांद पर उतरने से पहले के कुछ मिनट बहुत खास होने वाले हैं। यही वजह है कि वैज्ञानिकों के पूरी नजर अब चंद्रयान-2 पर टिकी है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने पहले ही बता दिया था कि सोमवार को दोपहर 12.45 से 1.45 बजे के बीच चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से विक्रम लैंडर को अलग कर देगा। हुआ भी कुछ ऐसा ही करीब 1.35 बजे विक्रम लैंडर अलग हो गया।

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अगले 20 घंटे में होगा ये काम
आपको बता दें कि अगले 20 घंटे विक्रम लैंडर के लिए खास होंगे। चंद्रयान-2 से अलग होने के बाद करीब 20 घंटे तक विक्रम लैंडर अपने पिता यानी ऑर्बिटर के पीछे-पीछे 2 किमी प्रति सेकंड की गति से ही चक्कर लगाता रहेगा। इसके बाद यह विपरीत दिशा में चांद का चक्कर लगाना शुरू करेगा।

इन तीन हिस्सों में बना है चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 तीन हिस्सों से मिलकर बना है - पहला- ऑर्बिटर, दूसरा- विक्रम लैंडर और तीसरा- प्रज्ञान रोवर। विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा।

कल चंद्रयान-2 नई कक्षा में जाएगा
चंद्रयान-2 के लिए अब हर दिन बहुत महत्वपूर्ण है। 3 सितंबर को सुबह 9 से 10 बजे के बीच विक्रम लैंडर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का पीछा छोड़ नई कक्षा में जाएगा।

तब यह 109 किमी की एपोजी और 120 किमी की पेरीजी में चांद का चक्कर लगाएगा।

इसे वैज्ञानिक भाषा में डिऑर्बिट कहते हैं यानी जिस दिशा में वह जा रहा था, उसके विपरीत दिशा में आगे बढ़ेगा।

ऑर्बिटर से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर 2 किमी प्रति सेकंड की गति से ही चांद के चारों तरफ ऑर्बिटर के विपरीत दिशा में चक्कर लगाएगा।

इसलिए जरूरी दिशा बदलना
विक्रम लैंडर को चांद के विपरित दिशा में घुमाना इसलिए जरूरी है क्योंकि ऑर्बिटर चांद के चारों तरफ ऊपर 100 किमी की दूरी पर चक्कर लगाएगा।

लेकिन, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाने के लिए विक्रम लैंडर को अपनी दिशा बदलनी होगी। इसलिए उसे विपरीत दिशा में चांद का चक्कर लगाना होगा।

इस दिन चांद के सबसे करीब होगा विक्रम लैंडर
इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर को 4 सितंबर की दोपहर 3 से 4 बजे के बीच चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में पहुंचाएंगे। इस कक्षा की एपोजी 36 किमी और पेरीजी 110 किमी होगी।

5 और 6 सितंबर को लगातार होगी विक्रम लैंडर के सेहत की जांच की जाएगी। 6 सितंबर तक विक्रम लैंडर के सभी सेंसर्स और पेलोड्स के सेहत की जांच होगी। प्रज्ञान रोवर के सेहत की भी जांच की जाएगी।

7 सितंबर के दिन सबसे बड़ी चुनौती
7 सितंबर वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ा दिन होगा। क्योंकि इसी दिन चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-2 लैंड करेगा और इसी के साथ दुनिया में इतिहास रचेगा।

लेकिन दौरान 15 मिनट चंद्रयान-2 के लिए काफी चुनौती भरे होंगे।