26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

किसान आंदोलन: आखिर क्या हैं MSP पर मांग को लेकर सरकार की दिक्कतें, जानिए ये हैं वजहें

Highlights किसानों की मांग है कि एमएसपी को कृषि कानून में लिखित रूप से जोड़ा जाना चाहिए। किसान चाहते हैं कि एमएसपी से कम पर फसल खरीदना अपराध घोषित किया जाए।

3 min read
Google source verification
Farmer protest

किसान आंदोलन।

नई दिल्ली। भारत की राजधानी दिल्ली की सीमा पर किसानों का जमावड़ा लगा हुआ है। सातवें दिन भी बातचीत का दौर जारी रहा। दरअसल पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के किसान केंद्र सरकार के बनाए नए कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं।

किसानों की सबसे अहम मांगों में से एक है, "सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर खरीद को अपराध घोषित करे। एमएसपी पर सरकारी खरीद लागू रहे।

हालांकि एमएसपी पर खुद पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा है "मैं पहले भी कह चुका हूँ और एक बार फिर कहता हूँ, MSP की व्यवस्था जारी रहेगी, सरकारी खरीद जारी रहेगी।" उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की सेवा के लिए है। पीएम मोदी ने कहा कि अन्नदाताओं की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।

मगर किसानों की मांग है कि ये बात सरकार लिखकर दे। इस पर सरकार की दलील है कि इससे पहले के कानूनों में लिखित में ये बात कही नहीं गई थी। इसलिए नए बिल में इसे शामिल नहीं किया गया है।

किसान चाहते है कि एमएसपी पर सरकारी खरीद चालू रहे, उससे कम पर फसल खरीदना अपराध घोषित हो। इसे लागू करना सरकार के लिए इतना आसान नहीं है।

आखिर एमएसपी है क्या?

किसानों के हितों को देखते देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को लागू किया गया है। अगर कभी फसलों की कीमत बाजार के हिसाब से भी गिर जाती है, तब भी केंद्र सरकार तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही किसानों से फसल को खरीद लेती है। इस तरह से किसानों को नुकसान से बचाया जा सकता है।

किसी फसल की एमएसपी पूरे देश में एक ही होती है। भारत सरकार का कृषि मंत्रालय, कृषि लागत और मूल्य आयोग (कमिशन फ़ॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस CACP) के आधार पर एमएसपी को तय करता है। इसके तहत अभी 23 फसलों की खरीद हो रही है।

इन 23 फसलों में धान, गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन, तिल और कपास जैसी फसलों को तय किया गया।

देश में केवल 6 फीसदी किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिलता है। इन किसानों में सबसे ज्यादा किसान पंजाब हरियाणा के हैं। इस वजह से नए बिल का विरोध भी इन इलाकों में ज्यादा हो रहा है।

किसानों की क्या है चिंता

किसानों की मांग है केंद्र सरकार नए कृषि कानून को रद्द करे। उसकी जगह किसानों के साथ बात कर कानून में बदलाव करे। किसानों का कहना है कि ये कानून कृषि के निजीकरण को प्रोत्साहन देने वाले हैं। इससे होर्डर्स और बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा। उनका कहना है कि एक विधेयक के जरिए किसानों को लिखित आश्वासन दिया जाए कि एमएसपी को खत्म नहीं किया जाएगा। इसके आलावा किसान और भी कुछ कारणों से आंदोलन पर उतर आए है।

फसलों की गुणवत्ता के मानक पर सवाल

एमएसपी पर खरीद का प्रावधान सरकार कानून में जोड़ भी दे तो आखिर कानून का पालन कैसे किया जाएगा ? एमएसपी हमेशा एक 'फेयर एवरेज क्वॉलिटी' के लिए होता है। इसक मतलब है कि फसल की निश्चित की गई गुणवत्ता होगी तो ही उसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाएगा। यह मानक कैसे तय किया जाएगा?

भविष्य में सरकारी खरीद कम होगी

सरकार को कई कमेटियों ने सुझाव दिया है कि गेंहू और धान की खरीद सरकार को कम कर देनी चाहिए। इससे संबंधित शांता कुमार कमेटी से लेकर नीति आयोग की रिपोर्ट सरकार के पास मौजूद हैै। किसानों को डर सता रहा है कि कहीं सरकार इस पर अमल न करने लगे। ऐसे में फसल सरकार खरीदेगी या नहीं, खरीदेगी तो कितना और कब खरीदेगी जब ये सब तय नहीं है तो लिखित में पहले से एमएसपी वाली बात कानून में कैसे कर सकती है?

निजी कंपनियाँ एमएसपी पर क्या फसल खरीदेंगी

नए कानून में किसान निजी कंपनियों को फसलें बेचेंगे। निजी कंपनियाँ चाहेंगी कि वो एमएसपी से कम कीमत पर खरीद करें। इससे उनका मुनाफा बढ़ सकेगा। सरकार निजी कंपनियों पर शर्त नहीं लगाना चाहती है। निजी कंपनियों को इससे दिक्कत हो सकती है।

सरकार कीमत तय करने से बचना चाहती है

सरकार निजी कंपनियों पर एमएसपी की कोई पाबंदी लगाना चाहती है। वहीं निजी कंपिनयां किसानों से मनमाने दाम पर फसल खरीदना चाहती हैं। वे सामान की कीमतें डिमांड और सप्लाई के हिसाब से तय करती है। ये उनका तर्क है। सरकार इस पूरे मसले को द्विपक्षीय रखना चाहती है।