
नई दिल्ली।
स्वीडन की जानी-मानी पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) ने गत 3 फरवरी को अपने ट्विटर अकाउंट से एक टूलकिट (Toolkit) शेयर किया था। इसके साथ ही उन्होंने एक संदेश भी लिखा कि अगर आप भारत में आंदोलन कर रहे किसानों (Farmers Protest) का सहयोग करना चाहते हैं तो इस टूलकिट यानी डाक्युमेंट की मदद ले सकते हैं। हालांकि, ग्रेटा ने यह ट्वीट डिलीट कर दी। मगर अगले दिन उन्होंने एक और टूलकिट पोस्ट की और साथ में संदेश दिया कि वह पुरानी है। अब नई भेजी जा रही टूलकिट का ही इस्तेमाल करें।
हम आपको बता दें कि ग्रेटा थनबर्ग की ओर से पोस्ट किया गया यह टूलकिट एक तरह का दस्तावेज (Document) है और अब विवादों में आ गया है। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने भी ग्रेटा के इस टूलकिट को जनता में विद्रोह पैदा करने वाला डाक्युमेंट माना है और अब वह इसकी विस्तृत जांच कर रही है। गे्रटा की पोस्ट और दिल्ली पुलिस की ओर से इसे जांच के दायरे में लेने के बाद यह शब्द इन दिनों काफी चर्चा में है।
हम आपको बताते हैं कि दरअसल टूलकिट होता क्या है और ग्रेटा ने जिसे पोस्ट किया है, उसमें लिखा क्या है।
आंदोलन से जुड़े एक्शन प्वाइंट्स होते हैं टूलकिट में
आज विभिन्न देशों में अलग-अलग मुद्दों पर आंदोलन चल रहे हैं। अकेले अमरीका में कई बड़े मुद्दों पर आंदोलन हो रहा है। इनमें ब्लैक लाइव्स मैटर, एंटी लॉकडाउन प्रोटेस्ट और क्लाइमेट स्ट्राइक कैंपेन भी शामिल हैं। रूस में नवलेनी की रिहाई का मुद्दा है, जबकि भारत में चल रहा किसान आंदोलन इन दिनों खासी चर्चा में है। ऐसे सभी आंदोलनों में इनसे जुड़े लोग कुछ कार्यवाही बिंदु या एक्शन प्वाइंट्स तैयार करते हैं। इसमें ऐसी बातें और प्वांइट जोड़े जाते हैं, जो आंदोलन को सक्रिय रखने और आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। जिस दस्तावेज में इन्हें जोड़ा या दर्ज किया जाता है, उसे ही सामान्य बोलचाल में टूलकिट कहते हैं। हालांकि, यह शब्द दस्तावेज के तौर पर सोशल मीडिया में अधिक इस्तेमाल होता है। मगर इसमें पूरी रणनीति और आंदोलन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी भी दी जाती है। इसे उन लोगों को भेजा जाता है, जो संबंधित आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं या फिर जो इसे आगे ले जा सकते हैं।
तीन पन्ने के टूलकिट पर लिखा है एक संदेश
किसान आंदोलन के संदर्भ में ग्रेटा ने जो टूलकिट पोस्ट किया वह असल में तीन पन्ने का है। इसमें सबसे ऊपर एक संदेश लिखा है। इसके मुताबिक, यह वह दस्तावेज है, जो भारत में चल रहे किसान आंदोलन से अनजान लोगों को कृषि क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और किसान आंदोलन की पूरी जानकारी देगा। इसके जरिए लोगों को बताना है कि कोई भी व्यक्ति कैसे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए इस आंदोलन में किसानों का समर्थन कर सकता है।
Published on:
07 Feb 2021 02:03 pm
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