
coronavirus end expected in mid september
नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus in India ) के खात्मे को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ( MoHFW ) के दो सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक देश में COVID-19 का आतंक मध्य सितंबर तक खत्म हो सकता है। विशेषज्ञों ने इसके पीछे गणितीय मॉडल ( Mathematical Model ) आधारित विश्लेषण के इस्तेमाल का दावा किया है। अगर यह दावे सच साबित होते हैं तो देश के लिए यह अच्छी और बुरी दोनों खबर ला सकता है।
गणितीय मॉडल के विश्लेषणों के मुताबिक जब कोरोना वायरस मरीजों ( Coronavirus Cases in India ) की तादाद और इस महामारी ( Coronavirus Pandemic ) से रिकवर हुए लोगों की संख्या बराबर हो जाएगी, तब 100 फीसदी गुणांक पहुंच जाएगा और खत्म हो जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय में सार्वजनिक स्वास्थ्य के उप महानिदेशक ( DGHS ) डॉ. अनिल कुमार और उप सहायक निदेशक (कुष्ठ) ( DGHS ) द्वारा तैयार किया गया गया विश्लेषण एपिडेमियोलॉजी इंटरनेशनल नामक ऑनलाइन जर्नल में छपा हुआ है।
दोनों अधिकारियों ने बेली के मैथमेटिकल मॉडल का इस्तेमाल किया। यह स्टोकेस्टिक मैथमेटिकल मॉडल, महामारी के कुल आकार के वितरण का ध्यान में रखते हुए विश्लेषण करता है। इसके अंतर्गत संक्रमण और निष्कासन दोनों होते हैं। डॉक्यूमेंट के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस महामारी वास्तविक रूप से 2 मार्च को शुरू हुई थी। उस वक्त से लेकर अब तक इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। विशेषज्ञों ने इसका विश्लेषण करने के लिए 1 मार्च से 19 मई के बीच के कोरोना वायरस का डाटा एनालाइज किया था।
इस रिसर्च पेपर के मुताबिक भारत में बेली के रिलेटिव रिमूवल रेट, कोरोना वायरस का लीनियर रिग्रेशन एनालिसिस दिखाता है, जिसमें सितंबर मध्य तक यह रेखा 100 तक पहुंच रही है।
उन्होंने इस संबंध में कहा कि यह एक स्टोकेस्टिक मॉडल है और इसके रिजल्ट हर तरफ केे माहौल पर निर्भर करेंगे। इस मॉडल का एनालिसिस बताते हुए कहा कि यह समझा जा सकता है कि उस वक्त इंफेक्टेड केस की संख्या डिस्चार्ज मरीजों की संख्या के बराबर हो जाएगी और इसलिए गुणांक 100 फीसदी तक पहुंच जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच वैज्ञानिकों ने एक नई चेतावनी दी थी।वैज्ञानिकों के मुताबिक मानसून इस महामारी को बढ़ाने का काम कर सकता है। इसका मतलब कि मानसून आने के कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ सकता है। देश की स्वास्थ्य-चिकित्सा एजेंसियां, अस्पताल, नगर निगमों और कर्मचारियों पर काफी दबाव पड़ जाएगा क्योंकि मानसून के दौरान ही डेंगू, मलेरिया और जापानी इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियां पांव पसार लेती हैं।
इस संबंध में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलूरु ( IIS Bengaluru ) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मुंबई ( TIFR Mumbai ) के शोधकर्ताओं ने बड़ी चेतावनी जारी की। यहां के वैज्ञानिकों ने कहा कि इस बार मॉनसून में कोरोना वायरस के संक्रमण का दूसरा दौर शुरू हो सकता है। तापमान में कमी आने से इसके पॉजिटिव केस में उछाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
Updated on:
07 Jun 2020 11:43 am
Published on:
07 Jun 2020 10:14 am
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
