
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) आउटब्रेक अलर्ट एंड रिस्पांस नेटवर्क के अध्यक्ष डेल फिशर ने कहा कि भारत जैसे सघन आबादी वाले देशों में कोरोना वायरस महामारी ( coronavirus Pandemic ) को नियंत्रित करने के लिए सामुदायिक सहभागिता कारगर हथियार साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के जनसांख्यिकीय ढांचे को देखते सामुदायिक सहभागिता ही सबसे बेहतर और प्रभावी विकल्प है।
बेनेट यूनिवर्सिटी द्वारा ग्लोबल ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस ऑन कॉम्बैटिंग कोविद-19 बायोटेक टू दि रेस्क्यू पर आयोजित एक सेमिनार में फिशर ने कहा कि भारत सरकार द्वारा चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन ( Lockdown ) को हटाने का निर्णय भी सही दिशा में उठाया गया कदम है।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से हटाने में ही भारत की भारत की भलाई है। लॉकडाउन को एक झटके में हटाने से इंडिया कम्युनिटी ट्रांसमिशन ( Community Transmission ) की गिरफ्त में आ सकता है। उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंसिग ( Social Distancing ) के नियमों पर सख्ती से अमल करने की जरूरत है।
वहीं भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने कहा कि लॉकडाउन हटने की स्थिति में डिजिटल कॉन्टैक्ट ( Digital Contact ) कोरोना को नियंत्रित करने के लिए प्रभाव विकल्प साबित होगा। इसके बावजूद कोरोन जांच में तेजी लाने की जरूरत है। इस दिशा में भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं। रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग किट और पूलिंग टेस्ट किट बड़े पैमाना पर परचेज किया गया है।
इसके अलावा कार्यक्रम में शामिल बायोकॉन लिमिटेड की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि केोरोना महामारी से निपटने में भारत सरकार ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। लेकिन उसे स्वदेशी किट अपने स्तर पर तैयार करने पर जोर देना चाहिए।
Updated on:
17 Apr 2020 12:45 pm
Published on:
17 Apr 2020 12:33 pm
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