
American scientists praise India, said- India's vaccine saved whole world from corona epidemic
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दो वैक्सीनों में से एक यानी कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच के अंतर को बढ़ा दिया गया, जबकि कोवैक्सिन में ऐसा नहीं किया गया। आखिर इसकी क्या वजह हो सकती है? केंद्र सरकार ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी। बीते 16 जनवरी से देश में शुरू हुए कोरोना टीकाकरण अभियान के बाद से कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच के अंतर को दो बार बढ़ाए जाने के बाद से यह विषय विवाद का मुद्दा बनता जा रहा था।
सबसे पहले बता दें कि इस वर्ष की शुरुआत में चालू हुए विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तहत कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराकों के बीच चार से छह सप्ताह का अंतर था। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसे बढ़ाकर चार से आठ सप्ताह कर दिया और अब इसे और बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह कर दिया गया है। हालांकि भारत बायोटेक द्वारा निर्मित की गई कोवैक्सिन की दो खुराकों के बीच अंतर अभी भी वही है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि कोवैक्सिन की दो खुराकों के बीच अंतर को ना बढ़ाना और कोविशील्ड में बढ़ाने का फैसला वैक्सीन की पहली खुराक की प्रभावकारिता के आधार पर लिया गया है।
उन्होंने बताया कि कोविशील्ड की पहली खुराक काफी ज्यादा इम्यूनिटी देती है जो करीब 12 सप्ताह तक प्रभावी रहती है। इसलिए दूसरी खुराक देने के अंतर को बढ़ाने का फैसला लिया गया, लेकिन कोवैक्सिन के लिए ऐसा कोई निष्कर्ष मौजूद नहीं है।
इसे एक विकसित होने वाला विज्ञान बताते हुए डॉ. भार्गव ने कहा कि बीते 15 दिसंबर को दुनिया में पहली बार कोरोना वैक्सीन आई और नए डेवलपमेंट आते जा रहे हैं और आगे भी जारी रहेंगे।
उन्होंने कहा, "ऐसा देखा गया है कि कोविशील्ड की पहली डोज काफी मजबूत सुरक्षा देती है और यह करीब 12 सप्ताह तक बनी रहती है। लेकिन आपको इस तरह की सुरक्षा कोवैक्सिन की पहली डोज के बाद नहीं मिलती। कोवैक्सिन की दोनों खुराकें लेने के बाद ही ऐसा संभव हो पाता है और सुरक्षा अपने चरम पर पहुंचती है।"
डॉ. भार्गव ने कहा कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद लोगों को अपनी दूसरी खुराक लेने में अंतर को बढ़ाए जाने के पीछे भी यही कारण है।
Updated on:
22 May 2021 12:20 am
Published on:
22 May 2021 12:03 am
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