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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताई वजह, इसलिए करना पड़ा कोरोना वैक्सीन का निर्यात

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अगर समझौते के तहत एक हाथ से लेता है तो दूसरे हाथ से देता भी है।

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s jaishankar

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नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली रही है। ऐसे में भारत सरकार ने वैक्सीन के निर्यात में कमी ला दी है। मगर एक सवाल ये उठता है कि आखिर भारत को वैक्सीन का निर्यात क्यों करना पड़ा,जबकि इसकी हमें सबसे ज्यादा जरूरत है। इस विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हमारे यहां वैक्सीन उत्पादन की स्थिति कई अन्य देशों से अलग है।

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उन्होंने बताया कि भारत में कोविशिल्ड का आधार ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका टीका है। इसे ब्रिटिश—डिजाइन में उत्पाद किया है। भारत में इस वैक्सीन को केवल एक कुशल उत्पादन स्थल के रूप में चुना गया है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग था। इस कारण अगर किसी ने भारत में टीका बनाने के लिए अनुमति दी तो समझौते के आधार पर ही देता है।

भारत में समझौते के साथ लाई गई कोवैक्सीन

ग्लोबल डायलॉग सीरीज में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि यह कोवैक्स भारत में समझौते के साथ लाई गई है। ऐसे में कई देशों को कम कीमत पर टीके देने के लिए कोवैक्स का एक दायित्व है। उन्होंने कहा कि जो लोग वैक्सीन के निर्यात को लेकर सवाल उठा रहे हैं, उनकी मानसिकता छोटी है। उन्होंने कहा कि भारत अगर समझौते के तहत एक हाथ से लेता है तो दूसरे हाथ से देता भी है। अगर देश निर्यात रोक देता तो हम किस मुंह से अपनी जरूरत की मांग रखते।

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प्रतिनिधिमंडल के दो सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए

वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ ब्रिटेन गए प्रतिनिधिमंडल के दो सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इस कारण विदेश मंत्री को अपने कार्यक्रमों में फेरबदल करना पड़ा है। जी-7 समूह देशों के विदेश मंत्रियों एवं विकास मंत्रियों के साथ बैठक में हिस्सा लेने के लिए ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब के आमंत्रण पर जयशंकर सोमवार को लंदन पहुंचे थे। जयशंकर ने बुधवार को ट्वीट कर बताया कि उन्हें कल शाम को कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आने का पता चला है। ऐसे में ऐहतियात के तौर पर उन्होंने डिजिटल तरीके से कार्यक्रमों को करने का फैसला लिया है।