25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

WHY IS DURGA-PUJA SPECIAL? आखिर क्यूं विशेष है 2020 की दुर्गा पूजा?

After all, why is Durga Puja of 2020 special?महालया के 35 दिन बाद होगी पूजा, 17 सितंबर को महालया और 22 अक्टूबर से दुर्गा पूजा, इस वर्ष दुर्गापूजा से पहले 2 अमावस्या

2 min read
Google source verification
WHY IS DURGA-PUJA SPECIAL? आखिर क्यूं विशेष है 2020 की दुर्गा पूजा?

WHY IS DURGA-PUJA SPECIAL? आखिर क्यूं विशेष है 2020 की दुर्गा पूजा?

कोलकाता/हुगली. इस साल होने वाली दुर्गापूजा इस बार कुछ अलग हटके होगी। वैसे तो हिन्दू शास्त्रों--मान्यताओं के अनुसार महालया के दूसरे दिन यानी पितर तर्पण के बाद एकम से देवी पाठ (नवरात्र) पर्व की शुरुआत होती है। नवरात्र के 9 दिन तक चलने वाले देवी पाठ के 6ठे दिन (यानी पष्ठी) से दुर्गा पूजा की धूम शुरू हो जाती है। इस साल महालया के 35 दिन बाद दुर्गापूजा का आयोजन होगा, इस वर्ष 17 सितंबर को महालया है और महालया के 35 दिन बाद यानी 22 अक्टूबर से मनाई जाएगी। 26 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन विसर्जन होगा। वैसे तो दुर्गापूजा का आयोजन देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों में होता है लेकिन बंगाल का उत्कृष्ट पर्व है।

आखिर क्यूं महालया के 01 महीने बाद मनाई जाएगी दुर्गा पूजा

हिन्दू शास्त्रों में दुर्गापूजा अश्विन महीने में होती है इस बार इस महीने में 2 अमावस्या पड़ रही। 2 अमावस्या पडऩे की वजह से इस महीने को मलमास कहा जाता है। हिन्दू शास्त्रों में मलमाह में कोई शुभ कार्य नहीं होता और यही वजह है कि इस बार दुर्गा पूजा महालया के 35 दिनों बाद होगी। दूसरी अमावस्या 16 अक्टूबर को है। मतलब महालया के एक महीने बाद देवी पाठ की शुरुआत होगी। इस बार दुर्गापूजा का आयोजन अश्विन महीने के बदले कार्तिक माह में होगा। पितृ तर्पण 17 सितंबर को ही होगा। पितृ तर्पण के एक महीने तक का कार्यकाल अशुभ होगा, इस माह किसी तरह मांगलिक कार्य नहीं होंगे। 21वीं सदी में ऐसा तीसरी बार होगा। इससे पहले 2001 में 1982 में हुआ था। 2020 में पितृपक्ष 1 सितंबर से शुरू और 17 सितंबर को महालय के दिन तर्पण के साथ खत्म होगा। नवरात्र पर्व हिन्दू धर्म के लिए महत्वपूर्ण त्योहार है। इस अवसर पर दुर्गा के 9 रूपों की आराधना की जाती है। इसलिए यह पर्व 9 दिनों तक मनाया जाता है। वेद-पुराणों में दुर्गा को शक्ति का रूप माना गया है जो असुरों से इस संसार की रक्षा करती हैं। नवरात्र के समय भक्त उनसे अपने सुखी जीवन और समृद्धि की कामना करते हैं।

क्योंंकि इस वर्ष दुर्गापूजा से पहले 2 अमावस्या

इस मामले में पंडित मनोज शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष दुर्गापूजा से पहले 2 अमावस्या है। 17 सितम्बर को पहली अमावस्या है इस दिन महालय है। पितृतर्पण भी इसी दिन होगा लेकिन आश्विन महीने में 2 अमावस्या से इसे मलमास कहते हैं। हिन्दू शास्त्रों में मलमाह में कोई भी शुभ काम नहीं होता। इसलिए महालय के एक महीने बाद वाली अमावस्या के दिन से ही देवी पाठ बैठेंगे यानी दुर्गापूजा इस बार महालय के एक महीने बाद होगी। उनके मुताबिक 21वीं सदी में ऐसा पहले भी हुआ है।