मगर लोग टीकाकरण अभियान में दिलचस्पी नहीं ले रहे। पूर्व स्वास्थ्य सचिव सुजाता राव ने इसके लिए गलत सूचना के प्रसार, टीके के बारे में लोगों में भ्रम की स्थिति और कोरोना संक्रमण के केस में गिरावट को भी बड़ी वजह माना है। उन्होंने संबंधित विभाग से इस बारे में टीकाकरण को लेकर पूरे आंकड़े साझा करने और अभियान में निजी क्षेत्र को भी शामिल करने की वकालत की है।
विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना से जंंग में टीकाकरण महत्वपूर्ण है। टीकाकरण के पहले 34 दिनों में एक करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है। हालांकि, यह आंकड़ा सरकारी टारगेट से पीछे है। इसमें भी कुल टीकाकरण का 57 प्रतिशत सिर्फ 8 राज्यों से ही है। इससे साफ होता है कि लोग टीकाकरण अभियान में शामिल हों या नहीं, इसको लेकर उलझन की स्थिति में है।
विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना के टीकाकरण अभियान के पहले महीने में लोगों में टीका लगवाने के प्रति हिचक दिखाई दी। इसके पीछे कोरोना महामारी एवं टीके को लेकर गलत जानकारी के प्रसार को बड़ा कारण माना जा रहा है। सरकार ने दो टीके कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मंजूरी दी है। दो टीके को लेकर भी लोग भ्रम की स्थिति में है। लोग यह नहीं समझ पा रहे कि किसे कोविशील्ड टीका लगेगा और किसे कोवैक्सीन का टीका लगवाना चाहिए। वैसे भी कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल पूरा नहीं हुआ है। इससे भी लोगों में डर की स्थिति है।