
World Aids Vaccine Day 2021: When and why is celebrated, know its history and importance
नई दिल्ली। कोरोना संकट से जूझ रही पूरी दुनिया को बचाने के लिए आज 100 फीसदी प्रभावशाली वैक्सीन बनाने को लेकर दिन-रात शोध कर रहे हैं। लेकिन यह इकलौता ऐसी बीमारी नहीं है, जिसके लिए वैक्सीन बनाने को लेकर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। इससे पहले दर्जनों जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए वैज्ञानिक वैक्सीन बना चुके हैं। इन्हीं में से एक है जानलेवा बीमारी एड्स, जिससे बचाव के लिए काफी लंबे समय तक शोध के बाद वैज्ञानिकों को वैक्सीन बनाने में कामयाबी मिली।
असुरक्षित यौन संबंधों से होने वाली खतरनाक बीमारी एचवाईवी और एड्स को जड़ से खत्म करने के लिए अभी भी वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। हर साल, 18 मई को पूरी दुनिया में विश्व एड्स टीकाकरण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि विश्व एड्स टीकाकरण दिवस क्यों मनाया जाता है और इसका इतिहास व क्या महत्व है?
क्यों मनाया जाता है विश्व एड्स टीकाकरण दिवस?
मालूम हो कि एड्स एक खतरनाक जानलेवा बीमारी है। यह बीमारी असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से होता है। लिहाजा, इससे बचाव के लिए लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए सरकार व निजी संस्थाओं की ओर से समय-समय पर किया जाता है।
एड्स से बचाव के लिए टीकाकरण करवाने को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होता है। पूरी दुनिया में विश्व टीकाकरण दिवस इसलिए भी मनाया जाता है ताकि एड्स जैसी बीमारी के लिए वैक्सीन की खोज करने वाले वैज्ञानिकों को धन्यवाद दिया जा सके।
विश्व एड्स टीकाकरण दिवस का इतिहास
अब सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि विश्व टीकाकरण दिवस 18 मई को ही क्यों मनाया जाता है? दरअसल, अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 18 मई 1997 को मॉर्गन स्टेट यूनिवर्सिटी में एक भाषण दिया था। इसी भाषण के आधार पर विश्व एड्स टीकाकरण दिवस को मनाने का निर्णय लिया गया था। क्लिंटन ने इस भाषण में आने वाले एक दशक में एड्स को टीके के माध्यम से खत्म करने की बात कही थी। उन्होंने अपने भाषण के जरिए पूरे विश्व को यह विश्वास दिलाने की कोशिस की थी कि इस जानलेवा बीमारी को हराया जा सकता है। क्लिंटन ने अपने भाषण के जरिए एड्स के प्रति लोगों में जो भय था उसे दूर करने का प्रयास किया था।
बता दें कि विश्व एड्स टीकाकरण दिवस के दिन दुनियाभर के वैज्ञानिक एवं चिकित्सक आपस में चर्चा करते हैं। मेडिकल कॉलेज के छात्रों को एड्स टीके के इतिहास एवं इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताया जाता है। साथ ही आने वाले समय में वैक्सीन को लेकर और क्या संभावनाएं बन सकती हैं, इन पर भी विचार-विमर्श किया जाता है। इसके अलावा लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जाती है और एड्स की वैक्सीन का महत्व समझाया जाता है।
वैक्सीन से कम हुई लोगों की मौत
बता दें कि 80 के दशक में जब इस बीमारी के बारे में वैज्ञानिकों व चिकित्सकों को पता चला तो इसके बचाव को लेकर शोध शुरू किया गया। उस वक्त एड्स से पीड़ित व्यक्ति का आने वाले दो साल में उसकी मौत हो जाती थी। एचआईवी वायरस रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है और ये वायरस सबसे पहले इंसान के लिंफेटिक सिस्टम पर हमला करता है। अभी तक HIV की कोई दवा नहीं है, लेकिन इस टीके के जरिए इससे बचाव किया जा रहा है।
एड्स के लक्षण
एड्स को लेकर अभी भी लोगों में जागरुकता कम है। यौन संबंध बनाते वक्त सावधानी नहीं बरती जाती है। साथ ही इस बीमारी के लक्षणों को लोग नजरअंदाज करते हैं। एड्स के लक्षणों की बात करें तो बुखार, ग्रंथियों में सूजन, गले में खराश, रात में अधिक पसीना आना, मांसपेशी में दर्द, सिर दर्द,अत्यधिक थकान, शरीर पर चकत्ते शामिल हैं।
Updated on:
17 May 2021 10:17 pm
Published on:
17 May 2021 10:10 pm
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