
इस बार लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग लागू है, इसलिए घर से मनाइए विश्व पर्यावरण दिवस।
नई दिल्ली। विश्व पर्यावरण दिवस - 2020 ( World Environment Day - 2020) हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत पहली बार संयुक्त राष्ट्र ( United Nation ) ने 1972 में की थी। यह प्रकृति को समर्पित दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। इसका हमारे जीवन से अटूट संबंध होने की वजह से यह इस बार खास है।
ऐसा इसलिए कि इस बार दुनियाभर में कोरोना वायरस ( coronavirus ) महामारी और लॉकडाउन लागू है। जहां पर पूर्ण लॉकडाउन नहीं भी है तो वहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों पर अमल जारी है। सड़कों पर यातायात लगभग बंद है।
वैश्विक आंकड़े की बात करें तो पिछले कई दशकों से विश्व पर्यावरण ( World Environment ) को लेकर किए गए तमाम प्रयासों और जलवायु परिवर्तन ( Climate Change ) के असंख्य वैश्विक समझौतों के बावजूद पर्यावरणीय स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। करीब ढ़ाई महीने से वैश्विक लॉकडाउन ( Lockdown ) के चलते इस समूह में पर्यावरण दिवस को मनाना पहले की तरह आसान नहीं है। इसलिए इस बार आपको पर्यावरण दिवस घर पर ही मनाना पड़ेगा।
चूंकि घर पर पर्यावरण दिवस मनाना प्रचलन में नहीं है इसलिए थोड़ा अटपटा लगेगा, लेकिन इसे आप घर पर रहकर भी मना सकते हैं और पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। आइए हम आपको बताते हैं कैसे :
- आप अपने घर में पौधे या आसपास फिर पेड़ लगाएं। जिस कॉलोनी में रहते हैं वहां पर खाली स्थानों पर या घर के आसपास पौधा लगा सकते हैं। इससे घर को पेड़ की छाया, हवा मिलेगी और पर्यावरण की भी मदद होगी।
- न्यू जनरेशन के बच्चों को प्रकृति, पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग, पानी व पेड़-पौधों का महत्व समझाएं।
- अपने घर के सामान को नेचुरल वे में रीसाइकल करने की बात करें। उस पर काम शुरू करें। अपने परिवार के सभी लोगों को इसका हिस्सा बनाएं। इस पर चर्चा करें कि घर के डिग्रेडेबल वेस्ट को रीसाइकल कैसे करें।
- पॉलीथीन का उपयोग ना करें। सब्जी व सामान के लिए जूट या कॉटन की थैलियों का प्रयोग करें।
- अगर आपको इधर उधर थूकने की आदत है तो उसे सुधारने पर जोर दें।
- किसी भी पुरानी चीज को फेंकने के बजाय उसके सेकेंड यूज पर सोचें।
- फ्रिज के पानी के बजाय मटके का ठंडा पानी ज्यादा बेहतर है।
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
1. प्रदूषण की समस्या पर 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत मान्य किया।
2. 1972 के इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का जन्म हुआ। हर साल 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया। इसका मुख्य मकसद पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था।
3. इस सम्मेलन में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति एवं उसका विश्व के भविष्य पर प्रभाव विषय पर व्याख्यान दिया था। पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में यह भारत का प्रारंभिक कदम था। तभी से हम प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते आ रहे हैं।
4. इसके बाद भारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर, 1986 को लागू हुआ। जल, वायु, भूमि से संबंधित पहलुओं तथा मानव, पौधों, सूक्ष्म जीव, अन्य जीवित पदार्थ आदि को पर्यावरण के दायरे में रखा गया।
5. पर्यावरण और जीवन का अटूट संबंध है। इसलिए आज के दिन यह दिवस मनाकर पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन और विकास का संकल्प लेने की आवश्यकता है। ताकि हम नई पीढ़ी को बेहतर पर्यावरण दे सकें।
Updated on:
05 Jun 2020 10:48 am
Published on:
05 Jun 2020 09:09 am
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