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दुनिया हमें समझ नहीं पाई है : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हम वो लोग हैं जिनको शायद दुनिया जिस रूप में समझना चाहिए अभी तक समझ नहीं पाई है

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Jameel Ahmed Khan

Jan 10, 2016

Narendra Modi

Narendra Modi

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसने विश्व को किसी साम्प्रदायिकता में बांधने का प्रयास नहीं किया है बल्कि उसे अध्यात्मिकता दी है। मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुंबई में चल रहे साहित्य सत्कार समारोह में जैन मुनि रत्नसुंदरसुरिस्वरजी महाराज की 300वीं पुस्तक'मारु भारत, सारु भारत' का विमोचन करने के बाद कहा कि आध्यात्मिकता प्राचीन धार्मिक परंपराओं का आधार है और भारत को अपनी सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व है।

प्रधानमंत्री ने कहा, आज मुझे 300वें ग्रंथ के लोकार्पण का अवसर मिला। लेकिन कहीं पर लिखा गया है यह साहित्य की रचनाएं हैं। मेरा उसमें थोड़ा मतभेद है, यह साहित्य की रचनाएं नहीं है। एक संत की तपस्या, आत्मानुभूति, दिव्यता का साक्षात्कार और गंगा की तरह पवित्र मनोभाव हैं जिसे शब्द-देह मिला है। इसलिए एक प्रकार से वह रचना नहीं है, जो साहित्यकारों की तपस्या का परिणाम होती है, एक यह वाणी का संपुट है, जिसमें समाज के साक्षात्कार से निकली हुई पीड़ा का, संभावनाओं का और समाज जीवन को कुछ देने की अदम्य इच्छा शक्ति का परिणाम है।

उन्होंने कहा कि हम गर्व के साथ कह सकते हैं हिंदुस्तान के पास ऐसी महान परंपरा है, ऐसे महान संत-मुनि हैं जिन्होंने अपनी तपस्या, अपने ज्ञान का उपयोग राष्ट्र के भाग्य को बदलने के लिए किया और भविष्य के निर्माण के लिए अपने आप
को खपाया है। मोदी ने कहा, हम वो लोग हैं जिनको शायद दुनिया जिस रूप में समझना चाहिए अभी तक समझ नहीं पाई है। भारत एक ऐसा देश है जिसने विश्व को किसी साम्प्रदायिक में बांधने का प्रयास नहीं किया है। भारत ने विश्व को न सम्प्रदाय दिया है, न साम्प्रदायिकता। हमारे ऋषियों ने, मुनियों ने, परंपराओं ने विश्व को साम्प्रदायिकता नहीं, आध्यात्मिकता दी है।

प्रधानमंत्री ने कहा, कभी-कभी सम्प्रदाय समस्याओं का सृजक बन जाता है, अध्यात्म समस्याओं का समाधान बन जाता है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम हमेशा कहते थे कि समस्याओं को समाधान करने के लिए मानवजाति का आध्यात्मिकरण होना चाहिए। देश को आगे बढ़ाने के लिए सबको प्रयास करने की जरूरत है। हमारा देश गरीबी से मुक्त कैसे हो, सवा सौ करोड़ देशवासी स्वच्छ भारत के सपने को कैसे पूर्ण करें। पैंतीस साल से कम उम्र के करोड़ों नौजवान भारत के भाग्य को बदलने के लिए बहुत बड़ी शक्ति कैसे बनें। इन सपनों को साकार करने के लिए हम सब को मिलकर प्रयास करते रहना है।

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