महाराष्ट्र सरकार का गजब कारनामा, पैसे बचाने के लिए घटा दिया शिवाजी महाराज का कद!
छत्रपति शिवाजी महाराज की ये प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। इसपर करीब 3600 करोड़ रूपए की लागत आएगी।

नई दिल्ली। अरब सागर में महाराष्ट्र सरकार ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाने का फैसला किया था। 15 साल से ठंडे बस्ते में पड़े इस प्रोजेक्ट की गालत करीब 3600 करोड़ रूपए है। ये प्रतिमा शुरू से ही विवादों में रही है। अब खबर है कि सरकार पैसे बचाने के चक्कर में प्रतिमा की ऊंचाई कम करके शिवाजी के तलवार की ऊंचाई बढ़ाने जा रही है।
339 करोड़ बचाने के लिए लंबी कर दी तलवार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुराने डिजाइन में इसकी कुल लंबाई 121.2 मीटर है, जबकि सिर्फ प्रतिमा की ऊंचाई 83.2 मीटर थी लेकिन नए डिजाइन में इसे घटाकर 75.7 मीटर करने की तैयारी है। मराठा वोट बैंक के चक्कर में सरकार पहले ही शिवाजी की इस प्रतिमा को दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने का ऐलान कर चुकी है, इसलिए अब असली ऊंचाई बरकरार रखने के लिए 38 मीटर लंबी तलवार को 45.5 मीटर कर दिया जाएगा। प्रतिमा की ऊंचाई कम करने से सरकारी खजाने पर 338.94 करोड़ का बोझ कम हो जाएगा। हालांकि सरकार इन आरोपों को बार-बार खारिज कर रही है।
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सरकार ने दिया पर्यावरण का हवाला
शिवाजी की प्रतिमा की ऊंचाई कम करने के पीछे सरकार ने पर्यावरण का हवाला दिया है। खबर के मुताबिक सरकार ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय के सुझाव के बाद ही प्रतिमा की ऊंचाई कम की जा रही है, क्योंकि समंदर में चलने वाली हवाओं में अधिक दबाव होता है, जो प्रतिमा की ऊंचाई को प्रभावित कर सकता है।
विपक्ष बोला- ये हो नहीं सकता
कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। शिवसेना नेता प्रताप नाईक ने कहा कि सरकार का ये फैसला मराठा अस्मिता के खिलाफ है। चाहे सरकार का खजाना खाली हो जाए लेकिन शिवाजी की प्रतिमा की ऊंचाई किसी भी कीमत पर कम नहीं होगी।
महाराष्ट्र सरकार का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट
छत्रपति शिवाजी महाराज मेमोरियल प्रोजेक्ट को लीड कर रहे विधायक विनायक मेटे ने बताया कि अक्टूबर में इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। निर्माण स्थल पर वर्कर और मेटेरियल को पहुंचाने के लिए चार घाट का इस्तेमाल किया जाएगा। इनमें गेटवे ऑफ इंडिया, गोरे, नेवी मुंबई और एनसीपीए शामिल हैं। मेटे ने बताया कि शिवाजी की प्रतिमा कांस्य मिश्र धातु से बनाया जाएगा। ताकि प्रतिमा खारा समुद्री वातावरण, जंग और हवा के दबाव का सामना कर सके। इसके अलावा दो चरणों में स्मारक और उससे संबंधित सुविधाओं के लिए लगभग 10 हेक्टेयर का एक क्षेत्र चट्टान पर विकसित किया जाएगा। बताया जा रहा है कि यह प्रतिमा 212.2 मीटर ऊंची बनानी है, जो कि चीन के हेनन प्रांत स्थित बुद्धा टेम्पल (208 मीटर) से ऊंची होगी।
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