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World Tribal Day 2020 : क्या भारत में आदिवासी समुदाय अपनी पहचान और संस्कृति को बचाने में सफल रहे हैं?

जनगणना 2011 के मुताबिक 12 करोड आदिवासी देश में रहते हैं जो India की कुल जनसंख्या की 8.6% है। आजादी के बाद से अब तक India में करीब 4 करोड़ Tribal People छोटे-बडे प्रोजेक्ट के तहत विस्थापित हो चुके हैं। करिब 63% आदिवासीयों ने अपने पुरखों की जमीन गवां दी हैं।

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World tribal day

आज विश्व आदिवासी दिवस 2020 है। संयुक्त राष्ट्र ने इस साल ‘भाषा’ को आदिवासी दिवस का थीम बनाया है।

नई दिल्ली। आज विश्व आदिवासी दिवस 2020 ( World Tribal Day 2020 ) है। संयुक्त राष्ट्र ( United Nations) ने इस साल ‘भाषा’ ( Language ) को आदिवासी दिवस का थीम ( main theme ) बनाया है। आदिवासी लोग इस दिवस को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। पूरे विश्व में 476 मिलियन आदिवासी समुदाय के लोग हैं जो पूरे विश्व की जनसंख्या ( World Population ) का 6 प्रतिशत है। वहीं भारत ( India ) में करीब 12 करोड़ आदिवासी रहते हैं। खास बात यह है कि ये लोग दुनियाभर में 7 हजार भाषाओं और 5 हजार संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

अगर हम भारतीय आदिवासियों ( Indian Tribals ) की बात करें तो अहम सवाल यह उठता है कि क्या भारत में आदिवासी समुदाय अपनी ख़ास पहचान, भाषा, बोली और संस्कृति को बचाने में सफल रहे हैं?

सफल या विफल

दरअसल, भारत मे आदिवासी समुदाय की जनसंख्या 2011 ( Census 2011 ) की जनगणना के मुताबिक 12 करोड़ हैं जो भारत की कुल जनसंख्या ( Indian Population ) की 8.6% हैं यह आबादी 705 से भी ज्यादा अलग अलग समुदायों मे बंटी हुई है।

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आदिवासियों को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की नीतियां आज भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। भारत में पिछले 70 सालों में करीब 4 करोड आदिवासी छोटे-बडे प्रोजेक्ट के तहत विस्थापित हो चुके हैं। करिब 63% आदिवासीयों ने अपने पुरखों की जमीन गवां दी हैं।

सियासी दलों ने छला

समय-समय पर अलग-अलग पार्टियों की सरकारों ने अपने निजी स्वार्थ, वोट बैंक बचाने के चक्कर मे, झूठे विकास की आड़ मे आदिवासियों के साथ छलावा ज्यादा किया है। राज्य सरकारें भी आदिवासी समुदाय को बचाने के लिए कुछ ठोस कदम नहीं उठा पाईं।

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संविधान में प्रावधान

आजाद भारत के संविधान मे आदिवासी समुदाय और आदिवासी क्षेत्रों को बचाने के लिए अनुसुची 5 और 6 का प्रावधान किया है। अनुसुची 5 के आधीन ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकारों को बचाने व सुरक्षित रखने के लिए पेसा कानून बनाया गया है। आदिवासी आरक्षित विस्तार मे विकास और कानून व्यवस्था बनाने के लिए अनुसूची 5 आधारित राज्यों मे ट्रायबल एडवाइजरी कमेटी अनुसूची 6 आधारित राज्यों में ट्रायबल ऑटोनॉमस काउंसिल का गठन किया गया है। इसके बावजूद उम्मीद के अनुरूप आदिवासी समाज को विकास अभी तक नहीं हो सकता है।

प्रमुख आदिवासी

भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए अनुसूचित जनजाति शब्द का प्रयोग किया गया है। देश के प्रमुख आदिवासी समुदायों में बोडो, भील, उरांव, परधान, खासी, सहरिया, संथाल, मीणा, जाट, गोंड, मुंडा, खड़िया, हो, बिरहोर, पारधी, आंध, मल्हार कोली, टाकणकार, टोकरे कोली और महादेव कोली आदि शामिल हैं।

पहचान

आदिवासी लोग अपने घरों और खेतों में खास तरह का झंडा लगाते हैं जो अन्य धर्मों के झंड़ों से एकदम अलग होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आदिवासी किसी मूर्ति के बजाय जीव-जंतुओं, नदियों, खेत और पर्वत आदि चीजों की पूजा करते हैं।


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