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1. धरती का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा जल से ढंका हुआ है। इसमें से अधिकतर पानी समुद्र का पानी है और इंसानों के लिए पूरी दुनिया के कुल पानी का मात्र 2.5 फीसदी जल ही पेय जल के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसमें भी केवल एक फीसदी पानी ही इंसानों की पहुंच में है बाकी पानी ग्लेशियर या अंटार्टकिटका और ध्रुवों पर बर्फीले रेगिस्तानों के रूप में जमा हुआ है। 2. पूरे विश्व में 2 अरब लोगों के पास सुरक्षित (या साफ एवं स्वच्छ) पेयजल की व्यवस्था नहीं है। इनमें भी लगभग 784 मिलियन लोगों (अमरीका की कुल आबादी का दुगुना) को रोजाना पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। सबसे बड़ी दुर्भाग्य की बात कि इन क्षेत्रों में उपलब्ध पानी का 80 फीसदी से अधिक हिस्सा वहां की नगर पालिकाओं, निगमों तथा स्थानीय इंडस्ट्रीज के उपयोग में चला जाता है और आम आदमी के लिए पानी की शॉर्टेज बनी रहती है।
3. UNICEF की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में हर वर्ष साफ पानी के अभाव में अशुद्ध और गंदे पानी से होने वाली बीमारियों से लगभग 16 लाख (1.6 मिलियन) बच्चों की मौत हो जाती है। यहीं नहीं, हर वर्ष लगभग एक लाख व्यस्कों की भी मौत गंदे पानी के उपयोग से होने वाली बीमारियों के कारण होती है।
4. आज पूरे विश्व में बोतलबंद पानी का व्यवसाय एक फायदे का सौदा बन चुका है। अकेले अमरीका में ही बोतलबंद पानी का बिजनेस 18 बिलियन डॉलर का हो चुका है। दुनिया भर की बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां दुनिया में उपलब्ध निःशुल्क पानी को बोतल पैक कर ऊंचे दामों पर बेचती हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार ऐसा करना समाज और स्थानीय लोगों के पानी पर डाका डालने जैसा है।
5. संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार साफ और स्वच्छ पेयजल मूलभूत मानवाधिकार है जिसे हर परिस्थति में आम जनता को उपलब्ध करवाना सरकारों की जिम्मेदारी है। दुर्भाग्यवश इस दिशा में अभी बहुत काम करना बाकी है।