गौरतलब है कि इस समय देश और दुनिया में आए दिन भूकंप के झटकों की खबरें देखने को मिल रही हैं। भारत के भी कई जगहों पर बीते काफी समय से बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।
इससे पहले बीते साल अक्टूबर में फिलीपिंस के कोटाबाटो प्रांत में भूकंप के तेज झटके महसूस किये गये थे। फिलीपींस इंस्टिट्यूट ऑफ वोल्केनोलॉजी एंड सिस्मोलॉजी (फिवोलक्स) ने भूकंप की तीव्रता भी 6.4 मापी थी। इसमें किसी तरह का नुकसान सामने नहीं आया था। उसी साल दक्षिणी फिलीपींस के मिंडानाओ द्वीप पर भी 6.4 तीव्रता के भूकंप आया था। इसमें करीब पांच लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 60 अन्य घायल हो गए। फिवोलक्स प्रति वर्ष 100 से 150 भूकंप के झटके दर्ज करता है। प्रतिदिन करीब 20 भूकंप के झटके आते हैं।
आखिर कैसे आता है भूकंप धरती मुख्य तौर चार भागों में बनी हुई है। इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जाता है। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है। इन्हें टैकटोनिक प्लेट्स भी कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपना स्थान बदलती रहती हैं। मगर जब ये ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आने खतरा होता है। कभी ये प्लेट्स अपनी जगह तलाशने के चक्कर में एक—दूसरे के नीचे आ जाती हैं।
घूमने की रफ्तार काफी धीमी होती है इन प्लेट्स के घूमने की रफ्तार काफी धीमी होती है। ये हर साल 4 से 5 मिलीमीटर अपने स्थान से खिसक जातीं हैं। ये कभी—कभी टकरा भी जाती हैं। 7 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप में जानमाल का खतरा बना रहता है। कंपन की दिशा तय करती हैं कि नुकसान कितना हो सकता है।