
America-Britain ready to deploy thousands of soldiers in Asia due to threat of war with china
नई दिल्ली। पूरी दुनिया में चीन ( China ) की विस्तारवादी नीति के खिलाफ अब मोर्चाबंदी शुरू हो गई है और चीन को करारा जवाब देने के लिए अमरीका-ब्रिटेन-भारत ( America-Britain-India ) समेत तमाम देशों ने कमर कस ली है। जहां एक ओर भारत ने चीन से सटे सीमा के करीब सैन्य गतिविधि को बढ़ा दिया है, वहीं अमरीका ने अपने हजारों सैनिकों ( American Troops ) को जापाान से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक पूरे एशिया में तैनात करने का फैसला किया है।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( President Donald Trump ) का मानना है कि इंडो-पैसफिक ( Indo--pacific ) इलाके में शीत युद्ध के बाद मौजूदा समय में सबसे महत्वपूर्ण भू-राजनैतिक चुनौती है। ऐसे में अमरीका इस चुनौती से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाएगा। इधर, अमरीका के अलावा ब्रिटेन ने भी चीन की दादागिरी के खिलाफ अपने हजारों कमांडो को स्वेज नहर ( Suez Canal ) के पास तैनात करने का फैसला किया है।
बता दें कि अमरीका ने फैसला किया है कि वह जर्मनी ( Germany ) में तैनात अपने हजारों सैनिकों को निकालकर एशिया में तैनात करेगा। ये सभी सैनिक अमरीका के गुआम, हवाई, अलास्का, जापान और ऑस्ट्रेलिया स्थित सैन्य अड्डों पर तैनात किए जाएंगे।
यूरोप से सैनिकों को हटाएगा अमरीका
जापान के निक्केई एशियन रिव्यू की एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि हाल के ग्लोबल परिस्थिति को देखते हुए अमरीका की प्राथमिकता बदल गई है। शीतयुद्ध के समय अमरीकी विशेषज्ञों का मानना था कि सोवियत संघ ( Soviet Union ) पर नियंत्रण के लिए यूरोप ( Europe ) में भारी संख्या में सैनिकों की मौजूदगी जरूरी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2000 के दशक में अमरीका ने इराक और अफगानिस्तान में आतंकवाद ( Terrorism ) के खिलाफ जंग छेड़ी थी, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ( US National Security Advisor Robert O. Bryan ) ने पिछले महीने अपने एक लेख में कहा था, 'चीन और रूस जैसी दो महाशक्तियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा के लिए अमरीकी सेना को निश्चित रूप से अग्रिम इलाके में पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी से तैनात करना होगा।'
ऐसे में अमरीका अब इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जर्मनी से अपने सैनिकों संख्या घटाएगा। जर्मनी में अभी 34500 अमरीकी सैनिक तैनात हैं। अमरीका इसे घटाकर 25 हजार करने जा रहा है। लिहाजा, 9500 अमरीकी सैनिकों को वहां से निकालकर इंडो- पैसफिक इलाके में तैनात किया जाएगा या फिर उन्हें अमरीका में स्थित सैन्य अड्डे पर भेजा जाएगा।
एक ओर अमरीका चीन के खतरों से निपटने के लिए एशिया में भारी संख्या में सैनिक तैनात करने को लेकर आगे बढ़ रहा है, वहीं चीन भी टक्कर देने के लिए लगातार अपनी सेना पर भारी खर्च कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, चीन रूस के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पैसा रक्षा पर खर्च कर रहा है। चीन अपनी मिसाइल ( Missile Power ) क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहा है, साथ ही रडार क्षमता को अत्याधुनिक बना रहा है, ताकि अमरीकी जंगी जहाजों और फाइटर जेट को अपने करीब न आने दे।
चीन से निपटने को अमरीका-ब्रिटेन साथ-साथ
पड़ोसी देशों के साथ-साथ समुद्र पर लगातार अपना दबदबा बढ़ा रहे चीन को रोकने के लिए अमरीका सेना एयर और समुद्र में जंग लड़ने पर फोकस कर रही है। संभावना है कि अमरीकी सेना को चीन से साउथ चाइना सी, ईस्ट चाइना सी या हिंद महासागर में युद्ध लड़ना पड़ सकता है।
अमरीका का साथ देने और चीन के खतरों से निपटने के लिए ब्रिटेन भी एशिया में अपने सैनिक भेज रहा है। ब्रिटिश सेना ( British Troops ) का मानना है कि एशियाई सहयोगी देशों के साथ नजदीकी संबंध रखकर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करके और स्वेज नहर के पास और ज्यादा सैनिक तैनात करके चीन पर नकेल कसा जा सकता है। इस संबंध में तीनों ब्रिटिस सेना प्रमुखों ने मंत्रियों से मुलाकात भी की। ब्रिटिश रक्षा मंत्री बेन वालेस ( British Defense Minister Ben Wallace ) ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस के खात्मे के बाद दुनिया में आर्थिक संकट, विवाद और लड़ाई बढ़ जाएगी।
ब्रिटेन की शाही नौसेना ने ऐलान किया है कि वह स्थायी रूप से स्वेज नहर के पूर्व में कुछ हजार कमांडो हमेशा के लिए तैनात कर रही है। इन्हें संकट के समय कभी भी तैनात किया जा सकेगा। बता दें कि स्वेज नहर दुनिया का सबसे व्यस्त मार्ग है और चीन का बड़े पैमाने पर सामान इसी रास्ते से यूरोप जाता है।
Updated on:
05 Jul 2020 04:39 pm
Published on:
05 Jul 2020 04:20 pm
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