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यूरोपीय थिंक टैंक का दावा- Pakistan पर America को अब नहीं रहा भरोसा, China के खिलाफ बड़ी लड़ाई को तैयार

locationनई दिल्लीPublished: Jul 11, 2020 05:44:34 pm

Submitted by:

Anil Kumar

HIGHLIGHTS

यूरोपीय थिंक टैंक ( European Think Tank ) का दावा है कि रणनीतिक फायदे के लिए अमरीका ( America ) के पूर्ववर्ती सरकारों की ओर से पाकिस्तान ( Pakistan ) की मदद ली जाती रही है, लेकिन अब इस्लामाबाद उसके सामरिक उद्देश्य के लिए कोई मायने नहीं रखता है।
EFSAS के मुताबिक, आज सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि चीन ( China ) का सदाबहार दोस्त पाकिस्तान अमरीका ( Pakistan America relation ) के लिए अब वैसा आकर्षण का केंद्र नहीं रहा, जैसा कि पहले हुआ करता था।

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America no longer trusts in Pakistan, ready for big fight against China: European think tank

नई दिल्ली। चीन ( China ) के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अमरीका ( America ) एक के बाद एक फैसला ले रहा है और अब पूरी तरह से सख्त कार्रवाई करने का मन बना लिया है। ऐसे में चीन के साथ खड़ा रहने वाले पाकिस्तान ( Pakistan ) के लिए भी मुश्किलें बढ़ने वाली है।

दरअसल, एक समय में पाकिस्तान अमरीका ( America China Relation ) का सबसे भरोसेमंद हुआ करता था। लेकिन इस भरोसे का नाजायज फायदा उठाकर वाशिंगटन को ही धोखा देने वाले पाकिस्तान से अब पूरी तरह अमरीका का भरोसा उठ गया है। ऐसे में चीन और पाकिस्तान ( China Pakistan ) के खिलाफ ट्रंप प्रशासन बहुपक्षीय कार्रवाई की तैयारी में है। अमरीका के लिए पाकिस्तान अब कोई मायने नहीं रख रहा है।

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यूरोपीय थिंक टैंक ( European Think Tank ) का दावा है कि रणनीतिक फायदे के लिए अमरीका के पूर्ववर्ती सरकारों की ओर से पाकिस्तान की मदद ली जाती रही है, लेकिन अब इस्लामाबाद ( Islamabad ) उसके सामरिक उद्देश्य ( Strategic objectives ) के लिए कोई मायने नहीं रखता है। यही कारण है कि चीन के साथ पाकिस्तान के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करने के लिए अमरीका तैयार हो रा है।

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भरोसे के काबिल नहीं रहा पाकिस्तान

यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज ( EFSAS ) के मुताबिक, आज के समय में सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि चीन का सदाबहार दोस्त पाकिस्तान अमरीका के लिए अब वैसा आकर्षण का केंद्र नहीं रहा, जैसा कि पहले हुआ करता था। एक बार अमरीकी विदेश विभाग ( US State Department ) की रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि इस्लामाबाद को 1998 के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत ‘देश विशेष की चिंता’ ( Country of Particular Concern, CPC ) के रूप में नामित किया गया है, और इसे 2019 में एक बार फिर से CPC के तौर पर नामित किया गया।

अमरीकी विदेश विभाग ने अपनी रिपोर्ट में इस ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि पाकिस्तानी मदरसों ( Pakistani Madrasas ) ने कथित तौर पर ‘चरमपंथी के सिद्धांत’ को पढ़ाना जारी रखा है। इसके अलावा कई मदरसों ने पंजीकरण नहीं कराया है। साथ ही वित्त पोषण के अपने स्रोतों को बताने, विदेशी छात्रों को वैध वीजा, बैंकग्राउंड की जांच और कानून द्वारा आवश्यक सरकार की सहमति के मामले में विफल रहे हैं।

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अफगानिस्तान में शांति बहाली को लेकर अमरीका-तालिबान ( America Taliban Peace talk ) के बीच वार्ता को सुविधाजनक बनाने के लिए पाकिस्तान की भूमिका को अहम माना गया। लेकिन रिपोर्ट में पाकिस्तान कुटिल भूमिका को इंगित किया गया, जिसमें वह अफगानिस्तान ( Afghanistan ) में जारी रखी थी। अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों ( Terrorist Organizations ) को पाकिस्तान की ओर से लगातार मदद मिल रही है। ऐसे में अमरीका अब पाकिस्तान पर भरोसा नहीं कर रहा है और चीन के साथ बहुपक्षीय कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

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