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मोदी सरकार के सामने बड़ी चुनौतीः क्या चुनें? अमरीका की दोस्ती या ईरान का तेल

मोदी सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती है कि अमरीका से अच्छे रिश्ते चुने जाएं या ईरान से सस्ता तेल? भारत में पिछले एक अरसे से पेट्रोल-डीजल के दाम भी आग उगल रहे हैं, इसलिए ईरान का साथ छोड़ना भी आसान नहीं होगा।

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PM Modi

मोदी सरकार के सामने बड़ी चुनौतीः क्या चुनें? अमरीका की दोस्ती या ईरान का तेल

नई दिल्ली। मिशन 2019 से पहले मोदी सरकार की विदेश नीति के मोर्चे पर अग्नि परीक्षा होने वाली है। दरअसल अमरीका ने भारत समेत दुनियाभर के देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे 4 नवंबर तक ईरान से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दें। ऐसा नहीं करने वालों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। गौरतलब है कि भारत ईरान से बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है। ऐसे में मोदी सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती है कि अमरीका से अच्छे रिश्ते चुने जाएं या ईरान से सस्ता तेल? भारत में पिछले एक अरसे से पेट्रोल-डीजल के दाम भी आग उगल रहे हैं, इसलिए ईरान का साथ छोड़ना भी आसान नहीं होगा। इस संबंध में भारत ने अमरीका से बातचीत भी की है।

ये है फायदे-नुकसान का गणित

- भारत और अमरीका के बीच लंबे समय से अच्छे संबंध हैं। कूटनीतिक, वैश्विक रणनीति और आर्थिक तीनों ही मोर्चों पर अमरीका और भारत एक-दूसरे के अच्छे दोस्त और साझेदार माने जाते हैं।

- ऐसे में ईरान के साथ तेल का रिश्ता बरकरार रखकर भारत को अमरीका की नाराजगी मोल लेनी पड़ सकती है, जो कई मोर्चों पर हानिकारक साबित होगी।

- अमरीका से दोस्ती चीन के मुकाबले के लिए भी मददगार है। जो भारत को एशिया में अपनी स्थिति मजबूत करने में सहायता करेगा।

- ईरान के साथ तेल खरीद में कमी की तो तेल की कीमतों और फॉरेन एक्सचेंज के मामले में नुकसान उठाना पड़ सकता है।

- भारत पहले ही अमरीका से बड़े पैमाने पर कच्चा तेल खरीद रहा है। ऐसे में ईरान से खरीदी और कम की तो शिपिंग का खर्चा भी बढ़ जाएगा।

सख्त है अमरीका का रुख

इस मामले में अमरीका का रुख बेहद सख्त है। हाल ही में ईरान का समर्थन करने को लेकर अमरीका ने यूरोप को भी चेतावनी दी थी। दरअसल ईरान परमाणु समझौते से अमरीका के पीछे हटने के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनातनी का दौर जारी है। फिलहाल इसमें किसी तरह के समझौते की संभावना भी कम ही है।

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