हमलावर को उम्र कैद की सजा गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ऑस्ट्रेलियाई नागरिक ब्रेंटन टैरंट ( Australian Citizen Brenton Tarrant ) को हत्या का आरोपी मानते हुए सजा सुनाई। इस केस में कुल 91 लोगों ने गवाही दी। बताया जा रहा है कि सुनवाई के दौरान टैरंट काफी खामोशी से बैठ रहे। गवाह देने वालों ने कोर्ट को बताया कि किसी तरह इस शख्स के कारण उनके आंखों के सामने उन्हें अपनों से हमेशा के लिए जुदा होना पड़ा। क्राउन सॉलिसिटर ने आरोपी टैंरंट के लिए उम्र कैद की सजा और पेरोन न दिए जाने की मांग की। साथ ही जस्टिस कैमरन मंडेर ने आरोपी को जेल में बंद कर चाबी को फेंकने पर सहमति जताई। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश कैमरन मंडेर ने कहा कि ब्रेंटन टैरंट ने सामूहिक हत्या ( New Zealand Mosque Attack )। निहत्थे को मौत के घाट उतार दिया। उन्होंने आरोपी से कहा कि तुमने कई परिवारों को तबाह कर दिया। उनके नुकसान की कभी भरपाई नहीं हो सकती है। सुनवाई के दौरान कई पीड़ित कोर्ट के अंदर ही रोने लगे। सबसे हैरानी की बात ये रही कि सुनवाई के दौरा ब्रेंट टैरंट की ओर से किसी बात को लेकर कोई विरोध नहीं किया गया।
क्या था मामला? मार्च, 2019 में 29 वर्षीय आस्ट्रेलियाई नागरिक ब्रेंटन टैरंट ( Brenton Tarrant ) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक (Facebook) और इंस्टाग्राम ( Instagram ) पर लाइव होकर न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों पर हमला किया था। उसने अल नूर मस्जिद में बच्चों, महिलाओं, पुरुषों पर काफी बेहरमी से हमला किया था। टैरंट ने काफी बेरहमी से 51 लोगों को गोलियों से भून दिया था। इस घटना से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया था। आऱोपी ने कैमरे वाले हेलमेट का इस्तेमाल किया था और लोगों को चुन-चुन कर गोली मार रहा था। हालांकि, बाद में इस वीडियो को सोशल साइट्स से हटा दिया गया था। जबकि, ट्विटर ने उसके अकाउंट को सस्पेंड कर दिया था। वहीं, एक साल बाद अदालत ने आरोपी को उम्र कैद की सजा सुनाई है।