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Britain ने दी चेतावनी, कहा- Hongkong में चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को नए आव्रजन नियम देंगे चुनौती

Highlights ब्रिटेन (Britain) के पीएम बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने कहा कि हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने का चीन का निर्णय स्वतंत्रता को कम करेगा। हांगकांग (Hongkong) से ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट धारकों को 12 महीने की अवधि के लिए ब्रिटेन में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी।

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Boris Johnson

ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने दी चेतावनी।

लंदन। ब्रिटेन (Britain) ने चेतावनी दी है कि वह अपने आव्रजन नियमों (immigration rules)को बदलने को तैयार है यदि चीन ने हांगकांग (Hongkong) पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ( National Security Law) को थोपने की कोशिश की। ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने बुधवार को कहा कि 1997 में जब हांगकांग (Hongkong) को चीन को सौंपा गया तो उसे कानून के तहत छूट दी गई थी। ये हांगकांग के बुनियादी कानून में निहित है और ब्रिटेन और चीन द्वारा हस्ताक्षरित संयुक्त घोषणा द्वारा रेखांकित किया गया है। ।

ब्रिटिश प्रधान मंत्री ने कहा कि हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने का चीन का निर्णय "स्वतंत्रता को कम करेगा और नाटकीय रूप से इसकी स्वायत्तता को नष्ट करेगा"। उन्होंने कहा कि
अगर चीन अपने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करता है, तो ब्रिटिश सरकार आव्रजन नियमों को बदल देगी। परिवर्तन के तहत, हांगकांग से ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट धारकों को 12 महीने की अक्षय अवधि के लिए ब्रिटेन में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और आगे के आव्रजन अधिकार दिए जाएंगे। इसके साथ "काम करने का अधिकार भी शामिल है, जो उन्हें नागरिकता से जोड़े रख सकता है। जॉनसन ने कहा कि क्षेत्र के लगभग 350,000 लोग वर्तमान में इस तरह के पासपोर्ट रखते हैं और अन्य 2.5 मिलियन उनके लिए आवेदन करने के लिए पात्र होंगे।

गौरतलब है कि चीन की संसद में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब इस बिल को चीन के वरिष्ठ नेतृत्व के पास भेजा जाएगा। नए कानून के लागू हो जाने से हांगकांग अपनी स्वायत्ता खो सकता है और हांगकांग को मिला विशेष दर्जा खत्म हो सकता है।

वर्ष 1997 में ब्रिटेन ने जब हांगकांग चीन को सौंपा था तब कुछ कथित कानून बनाए गए। इसके तहत हांगकांग में कुछ खास तरह की आजादी थी। ये आम चीनी लोगों को हासिल नहीं है। चीन का यह प्रस्ताव बहुत विवादित है। ऐसे में संसद से मंजूरी मिलने के बाद दुनियाभर में कई देश चीन के खिलाफ खड़े हो गए है।