
चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका से मांग की है की वह ताइवान से स्वतंत्र राजनयिक रिश्तों पर फिर से विचार करे। चीन की आपत्ति अमेरिकी कूट नीति के उस बदलाव के विरोध में है जिसमें अमेरिकी अधिकारियों को ताइवान के अपने समकक्षों से मिलने जुलने की स्वतंत्रता दे दी गई है।
द ताइवान ट्रैवल एक्ट
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार इस एक्ट का उद्देश्य अमेरिका एवं ताइवान के बीच यात्राओं को ‘‘हर स्तर पर’’ प्रोत्साहित करना है। विधेयक को जनवरी में प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से पारित किया था। अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शीर्ष अधिकारियों को ताइवान में अपने समकक्षों से मिलने संबंधी नए नियमों को स्वीकृति दे दी है जिसके बाद चीन ने अमेरिका से कहा कि वह ‘अपनी गलती को सुधारे’। बताते चलें कि अमेरिका ने ‘वन चाइना’ नीति के समर्थन में चीन के पक्ष में 1979 में ताइवान के साथ अपने राजनयिक रिश्ते खत्म कर दिए थे। हालांकि ताइवान के साथ उसके व्यापारिक संबंध बने रहे और अमेरिका उसे हथियार भी बेचता रहा।
सूत्रों के अनुसार पहले भी अमेरिकी अधिकारी ताइवान की यात्रा करते रहे हैं और ताइवान के अधिकारी भी जब-तब व्हाइट हाउस आते रहे हैं, लेकिन चीन की आपत्ति से बचने के लिए आमतौर ये मुलाक़ातें गुपचुप होती थी और उनको अधिक प्रचारित नहीं किया जाता था।16 मार्च को ट्रंप ने ‘ताइवान ट्रैवल एक्ट’ पर हस्ताक्षर किए. इससे पहले इसको स्वीकृति देने वाला विधेयक अमेरिकी कांग्रेस में पारित हो गया था।
लोकतंत्र का मार्गदर्शक है ताइवान
अमेरिका के नए कानून में ताइवान को एशिया में ‘लोकतंत्र का प्रकाश स्तंभ’ बताया गया है. इसमें कहा गया है कि ताइवान की लोकतांत्रिक उपलब्धियों ने कई क्षेत्र के देशों और लोगों को प्रेरित किया है । यह अधिनियम अमेरिका और ताइवान के ‘सभी स्तरों’ के अधिकारियों की यात्रा को बढ़ावा देने से जुड़ा है। विधेयक में यह कहा गया कि अमेरिका आने वाले, अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात करने वाले और देश में कारोबार के सिलसिले में आने वाले उच्च स्तरीय ताइवानी अधिकारियों के लिए अमेरिकी नीति होनी चाहिए। इस विधेयक पर चीन को आपत्ति है । चीन का कहना है कि यह विधेयक बहुत ही निराश करने वाला है और यह चीन कि अखंडता पर खतरा है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने शनिवार को जारी एक वक्तव्य में कहा कि हालांकि विधेयक के प्रावधान कानूनी तौर पर बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन यह ‘एक चीन’ के सिद्धांत का ‘गंभीर उल्लंघन’ करते हैं और इससे ‘ताइवान में आजादी की समर्थक अलगाववादी ताकतों’ को बढ़ावा मिलेगा।
Published on:
18 Mar 2018 03:16 pm
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