
China's warning to America, said- our right on South China Sea for 1000 years
बीजिंग। अमरीका और चीन ( America China Tension ) के बीच लगातार टकराव की स्थित गंभीर होती जा रही है। दक्षिण चीन सागर ( South China Sea ) के मामले में दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल काफी गरम हो गया है। दक्षिण चीन सागर पर चीनी दावों ( China Claim On South China Sea ) को गैर कानूनी बताने को लेकर अब चीन ने अमरीका पर जोरदार पलटवार किया है।
चीन ने सीधे-सीधे अमरीका ( America ) को चेतावनी देते हुए कहा है कि सभी को ये समझ लेना चाहिए कि बीते 1000 सालों से दक्षिण चीन सागर पर उसी का कब्ज़ा है। चीन ने आगे कहा कि इस समुद्र पर उसकी संप्रभुता एक हजार साल से अधिक समय से है जो किसी भी अन्य पक्ष के किसी दावे से खारिज नहीं हो जाएगी।
चीन ने आरोप लगाया कि अमरीका उसके और दक्षिण पूर्वी एशिया ( South East Asia ) के अन्य देशों के बीच विवाद बढ़ाने के लिए बीज बोने की कोशिश कर रहा है। मालूम हो कि मंगलवार को अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था कि दुनिया रणनीतिक रूप से अहम दक्षिण चीन सागर को चीन के समुद्री साम्राज्य के तौर इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा।
साउथ चाइना सी पर चीन का कानूनी और ऐतिहासिक अधिकार: झाओ लिजियान
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ( Chinese Foreign Ministry spokesman Zhao Lijian ) ने बीजिंग में मीडिया को संबोधित करते हुए अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ( US Secretary of State Mike Pompeo ) के बयान पर पलटवार करते हुए हुए का उन्होंने दक्षिण चीन सागर से जुड़े इतिहास और तथ्यों को नजरअंदाज किया है।
लिजियान ने अमरीका के उस दावे पर भी सवाल खड़ा किया, जिसके मुताबिक 2009 में चीन अपने दावे के समाधान के लिए दक्षिण सागर में 9 बिंदु रेखाओं के साथ आया था। उन्होंने कहा कि 2009 में चीन ने दक्षिण चीन सागर में बिंदु रेखा की घोषणा नहीं की। अमरीका के दावे गलत हैं।
झाओ ने आगे कहा कि चीन के इतिहास ( History Of China ) के मुताबिक, दक्षिण चीन सागर हमारी संप्रभुता है। इस सागर के टापुओं और पानी पर बीते एक हजार से अधिक वर्षों तक हमारा अधिकार रहा है। हम 1948 से ही आधिकारिक रूप से बिंदु रेखा से सीमा को रेखांकित करने वाला मानचित्र ( Chinese Map ) प्रकाशित करते आए हैं, और अब तक किसी ने सवाल नहीं उठाया है। झाओ लिजियान ने कहा कि दक्षिण चीन सागर पर हमारा कानूनी और एतिहासिक अधिकार है।
अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने चीन को लगाई थी फटकार
आपको बता दें कि 2016 में जब दक्षिण चीन सागर पर अधिकार का मामला हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ( International court ) पहुंचा तो न्यायाधिकरण ने चीन को कड़ी फटकार लगाई और दक्षिण चीन सागर पर चीनी दावों को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने साउथ चाइना सी पर कृत्रिम द्वीप ( Artificial island ) बनाने को लेकर भी कड़ी फटकार लगाई थी। 2016 के फैसले को लेकर झाओ ने कहा कि 'न्यायाधिकरण ने अपने अधिकार का दुरुपयोग किया, सहमति के सिद्धांत का उल्लंघन किया'। उन्होंने आगे कहा कि 'फैसला फर्जी सबूतों और कानून के अवांछित उपयोग पर आधारित था। झाओ ने कहा कि चीन संबंधित देशों के साथ मामले को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है।
आपको बता दें कि 13 लाख वर्ग मील में फैले दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी हिस्सों पर चीन अपना दावा करता है। लेकिन साउथ चाइना सी ( South China Sea ) के पड़ोसी देश भी इसपर अपना-अपना दावा करते हैं। चीन पड़ोसी देशों पर दबाव बनाने के लिए ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम के दावे वाले इलाके में कृत्रिम द्वीप बना उनपर सैन्य ठिकाना बनाने की कोशिश में जुटा है। लेकिन अब कोरोना ( Coronavirus ) मामले को लेकर अमरीका चीन में बढ़ता तकरार दक्षिण चीन सागर तक पहुंच गया है, जो कि चीन के लिए मुसीबत बनता जा रहा है।
Updated on:
15 Jul 2020 05:06 pm
Published on:
15 Jul 2020 04:30 pm
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