लैब की डायरेक्टर वांग यान्यी ने चीन के सरकारी ब्रॉडकास्टर CGTN को दिए इंटरव्यू में कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और दूसरे लोगों की ओर से लैब फैसिलिटी से वायरस लीक होने का दावा गलत है। इसकी पुष्टि के लिए हमने खुद चमगादड़ों से कोरोनावायरस के कुछ नमूनों की जांच की। ‘हमारे पास वायरस के तीन जिंदा नमूने हैं लेकिन वो SARS-CoV2(कोविड-19 महामारी फैलाने वाला वायरस) से महज 79.8 फीसदी मिलते हैं।
वांग ने कहा, ‘हम जानते हैं कि SARS-CoV2 का पूरा जीनोम SARS से बस 80 फीसदी मिलता है। ये एक साफ अंतर है। इस सिलसिले में प्रोफेसर शी झेंगिल के नेतृत्व में एक रिसर्च टीम 2004 से कोरोनावायरस पर अध्ययन कर रही है। उन्होंने एक इंटव्यू में का था कि SARS-CoV-2 का जीनोम सीक्वेंस उनके लैब में रिसर्च के लिए इकट्ठा किए गए या अभी रखे गए किसी भी बैट कोरोनावायरस से मेल नहीं खाता है। लैब के अनुसार उनकी टीम को एक नए और अनजान का वायरस के नमूने 30 दिसंबर को मिले थे। इसका जीनोम 2 जनवरी तक कन्फर्म हुआ, जिसके बाद लैब ने 11 जनवरी तक इस वायरस के पैथोजन की जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को दे दी थी। वांग ने बताया कि दिसंबर में वायरस का नमूना मिलने से पहले उनके ‘लैब में कभी या वायरस रखा ही नहीं गया था, न ही इसपर कोई रिसर्च हुई थी।’ ऐसे में लैब से कोरोना वायरस के लीक होने की बात पूरी तरह से झूठ है।