
तितली के बाद आया गाजा और फिर रुलाएगा 'फानी', जानिए नाम के पीछे की तूफानी कहानी
नई दिल्ली। पिछले माह अक्टूबर में भारत में तितली तूफान ने जमकर तबाही मचाई थी। इसके बाद अब नवंबर में गाजा ने बवाल मचा रखा है। गाजा के बाद फट्टाई की बारी है और फिर फानी आएगा। यानी तूफानों की तबाही का सिलसिला जारी रहेगा और इसके साथ ही इनके रोचक नाम रखने का क्रम भी। ऐसे में यह जानना काफी दिलचस्पी भरा है कि आखिर इन तूफानों के नाम कौन और क्यों रखता है। जानते हैं इसके बारे में।
सबसे पहले बात करते हैं पिछले माह आए तितली की तो इस तूफान का संबंध पाकिस्तान से था। पाकिस्तान ने ही इस तूफान को तितली नाम दिया था। बता दें कि हिंद महासागर के आठ देशों ने वर्ष 2004 में भारत की पहल करने के बाद तूफानों के नामकरण का सिलसिला शुरू किया था। हिंद महासागर के इन आठ देशों में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, मालदीव, थाईलैंड और ओमान शामिल हैं।
अब अगर बात करें हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवाती तूफानों की, तो इनके नाम भारतीय मौसम विभाग रखता है। चक्रवाती तूफान तब बनते हैं जब हवा की रफ्तार 63 किलोमीटर प्रतिघंटा या इससे ज्यादा हो और कुछ देर के लिए बनी रहे। इन तूफानों का नाम रखने के लिए आठ सूची हैं और इनका इस्तेमाल क्रमानुसार किया जाता है। यह नाम कुछ वर्षों बाद फिर से भी इस्तेमाल कर लिए जाते हैं जबकि कई नाम रिटायरर भी कर दिए जाते हैं।
पाकिस्तान ने इससे पहले समुद्री तूफानों का नाम वरदा, नरगिस, फानूस, लैला और निलोफर भी रखा है। वहीं, आठ देशों के अब तक दिए गए 32 तूफानों की सूची में हिंदुस्तान ने लहर, मेघ, सागर और वायु नाम दिए हैं। अगर क्रमानुसार बात करें तो वरदा के बाद वाले तूफानों में तितली और बुलबुल का नाम आता है।
बहुचर्चित हेलेन तूफान का नामकरण बांग्लादेश ने किया था। जबकि म्यांमार ने तूफानों के नाम क्यांत और नानुक नाम दिए थे। वहीं, ओमान ने हुदहुद और नाडा। इसके अलावा उत्तरी हिंद महासागर में दो तूफान आने वाले हैं उनके नाम भी रखे जा चुके हैं। मौजूदा तूफान गाजा का नाम थाईलैंड ने सुझाया था। जबकि आने वाले फट्टाई का नाम श्रीलंका, फानी का बांग्लादेश, वायु का भारत, क्यार का म्यांमार, माहा का ओमान, बुलबुल का पाकिस्तान, पबन का थाईलैंड और अंफान का श्रीलंका ने रखा है।
यह है अनोखे नाम रखने के पीछे की वजह
तूफानों के नाम अक्सर रोचक या अनोखे रखे जाते हैं। इसके पीछे की वजह यह होती है कि मौसम विभाग, मौसम से जुड़ी चेतावनी, भविष्यवाणी आदि को लेकर आम जनत तक आसानी से अपनी बात पहुंचा सके। अलग ढंग के नाम होने की वजह से इनसे जुड़ा कम्यूनिकेशन आसान हो जाता है। यानी अनोखे और आसान शब्दों वाले तूफान के नाम रखने का मकसद लोगों तक जानकारी पहुंचाना और जागरूकता फैलाना होता है।
कब हुई थी नामकरण की शुरुआत
सबसे पहले 20वीं सदी के प्रारंभ में ऑस्ट्रेलिया के भविष्यवक्ता ने चक्रवाती तूफान का नामकरण किया था। इसका नाम एक राजनेता के नाम पर रखा गया था, जिसे वो कतई पसंद नहीं करते थे। वहीं, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्रशांत महासागर में आने वाले चक्रवाती तूफानों के नाम रखने में बिल्कुल अनोखा ढंग अपनाया गया।
इन तूफानों के नाम अमरीकी सेना, नौसेना और वायुसेना के मौसम वैज्ञानिकों द्वारा उनकी पत्नियों-गर्लफ्रेंड आदि महिलाओं के नाम पर दिए जाने लगे। हालांकि अटलांटिक क्षेत्र में चक्रवाती तूफानों के नामकरण को लेकर 1953 में एक औपचारिक संधि हुई, जिसके बाद यह नाम महिलाओं के नाम पर रखे जाने लगे।
Published on:
18 Nov 2018 01:21 pm
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