डेनमार्क की आरहस यूनिवर्सिटी( Aarhus University) के शोध के अनुसार एलियन, डरावनी, जोम्बी, आपदा या विनाश दर्शाने वाली फिल्मों के प्रशंसकों पर अध्ययन में पता चला कि ये विकट परिस्थिति को झेलने के लिए तैयार हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि भयावह कथाओं के संपर्क में आने से दर्शकों को उससे निपटने की रणनीतियों का अभ्यास हो जाता है। ये वास्तविक दुनिया की स्थितियों में फायदेमंद हो सकते हैं।
शोध में 310 प्रतिभागियों पर अध्ययन किया गया है। इनसे उनकी पसंदीदा फिल्मों और टीवी शो के बारे में पूरी जानकारी ली गई। इनसे पूछा गया कि उन्हें इन फिल्मों में क्या अच्छा लगा और क्या नहीं। इसके अलावा सारे प्रतिभागियों की मानसिक परिस्थिति भी जांची गई। इससे ये निष्कर्ष निकला कि विकट परिस्थिति में मानसिक मजबूती का होना बहुत जरूरी है। इन लोगों के अंदर हर परिस्थिति से निपटने की इच्छाशक्ति होती है।
इस शोध में पाया गया कि कंटैजियन और 28 डेज लेटर जैसी आपदा वाली फिल्मों ने दर्शकों के दिमाग को मजबूत किया है। द वॉकिंग डेड जैसे टीवी शो देखने पर दर्शकों का दिमाग ज्यादा बेहतर तरीके से परिस्थिति से निपट सकता है और वे अनायास ही परिदृश्यों का पूर्वाभ्यास करते हैं। जिन प्रतिभागियों ने इस तरह की फिल्में नहीं देखी थी उनकी मानसिक मजबूती और विकट परिस्थितयों को झेलने की क्षमता उनके मुकाबले काफी कम पाई गई।