scriptक्या Russia बनना चाहता है सुपर पॉवर? दुनिया के सबसे बड़े परमाणु बम के पीछे का सच | Does Russia want to become Super Power? The truth behind Nuclear Bomb | Patrika News

क्या Russia बनना चाहता है सुपर पॉवर? दुनिया के सबसे बड़े परमाणु बम के पीछे का सच

locationनई दिल्लीPublished: Aug 28, 2020 04:15:22 pm

Submitted by:

Mohit Saxena

Highlights

रूस (Russia) दुनिया को अपनी ताकत दिखाकर दोबारा से खोई शक्ति और विश्वास पाने की कोशिश में लगा है।
टसार बॉम्बा (Tsar Bomba) डिवाइस का 30 अक्‍टूबर 1961 को बैरंट सागर में परीक्षण किया था।

nuclear test By Russia

दुनिया पर दबदबा बनाने की कोशिश में रूस।

मास्को। रूस (Russia) दुनिया में अपना दबदबा कायम करना चाहता है। इसे लेकर वह रणनीति के तहत काम कर रहा है। एक तरफ वह कोराना वायरस (Coronavirus) महामारी की सबसे पहले दवा तैयार करने का दावा करता है। वहीं दूसरी तरफ वह दुनिया के सबसे बड़े परमाणु बम के परीक्षण की झलक दिखाकर धौंस जमाना चाहता है।
अमरीकी अर्थव्यवस्था (American Economy) की हालत बेहद खराब है। अमरीका अब ढलान की ओर बढ़ रहा है। कोरोना वायरस के कारण उसे घरेलू समस्याओं ने घेर लिया है। ऐसे में रूस इस माहौल का फायदा उठाना चाहता है। वह दुनिया को अपनी ताकत दिखकर दोबारा से खोई शक्ति और विश्वास पाने की कोशिश में लगा है। हाल ही उसने छह दशक पुराने एक परमाणु परीक्षण (Tsar Bomba Nuke Test) का वीडियो जारी किया। दावा किया जा रहा है कि ये सबसे बड़ा परमाणु बम है, जिसमें पूरी दुनिया को खत्म करने की क्षमता है। अब तक टॉप सीक्रेट रहे इस महाविनाशक वीडियो में सबसे बड़े परमाणु बम विस्फोट की पूरी जानकारी दी गई है।
एटमी बम से यह 3333 गुना अधिक शक्तिशाली है

इस परमाणु बम का नाम ‘इवान’ है। इसकी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जापान के हिरोशिमा में गिराए गए एटमी बम से यह 3333 गुना अधिक शक्तिशाली है। रूस ने कोल्‍ड वॉर के दौरान इस बम का पऱीक्षण किया गया था। टसार बॉम्बा (Tsar Bomba) डिवाइस का 30 अक्‍टूबर 1961 को बैरंट सागर में परीक्षण किया था। ऐसे कहा जाता है कि इस परमाणु अब से पूरी दुनिया खत्म सकती है।
शानदार तकनीकी उपलब्धि हासिल की

रूस का परमाणु बम अब तक हुए परमाणु विस्‍फोटों में सबसे अधिक शक्तिशाली है। यह करीब 50 मेगाटन का था और 5 करोड़ टन परंपरागत विस्‍फोटकों के बराबर ताकत वाला विस्फोटक है। इसे परमाणु बम की जांच के लिए रूसी विमान ने आर्कटिक समुद्र में नोवाया जेमल्‍या के ऊपर एक बर्फ पर गिराया था। 20 अगस्‍त को रूस के रोस्‍तम स्‍टेट अटॉमिक एनर्जी कॉर्पोरेशन ने अपने यू्ट्यूब चैनल पर एक 30 मिनट की डॉक्‍यूमेंट्री को दिखाया। विशेषज्ञों के अनुसार रूस ने अपने परीक्षण के जरिए शानदार तकनीकी उपलब्धि हासिल की है।
छह दशक पुराने इस परीक्षण में महाविनाशक से बचने के लिए परमाणु बम से बचने के लिए सैकड़ों मील की दूरी पर कैमरों को लगाया गया था। साथ ही उन्‍हें लो लाइट पोजिशन में रखा था, इससे वे परमाणु विस्‍फोट की चमक से कहीं अंधे न हो जाएं। इन शक्तिशाली कैमरों ने करीब 40 सेकंड के आग के गोले की वीडियो बनाया गया। उसके बाद यह मशरूम के बादल के रूप में बदल गया।
यह विस्‍फोट स्‍थल से 100 मील की दूरी पर स्थित एक विमान ने मशरूम के आकार के गुबार का एक वीडियो बनाया था। यह करीब 2 लाख 13 हजार फुट की ऊंचाई तक गया। इस विस्‍फोट के फुटेज को रूस ने करीब छह दशक तक छिपाए रखा है। अब 75 साल पूरे होने पर उसे जारी किया है।
कोल्‍ड वॉर अपने चरम पर था

रूस की सेना ने Tsar Bomba को RDS-220 नाम दिया था। ये अब तक सबसे सबसे बड़ा परमाणु बम है। इसे तब तैयार किया गया था, जब अमरीका और सोवियत संघ के बीच कोल्‍ड वॉर अपने चरम पर था। सोवियत संघ ने अमरीका के थर्मोन्‍यूक्लियर डिवाइस के मुकाबले इवान नामक परमाणु बम का निर्माण किया था। वर्ष 1954 में अमरीका ने अपने सबसे बड़े थर्मोन्‍यूक्लियर डिवाइस का मार्शल द्वीप पर परीक्षण किया था। इसके जवाब में सात साल बात रूस ने दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बम तैयार किया था।
इस बम को गिराने से पहले पैराशूट का इस्तेमाल किया गया था ताकि विमान इस विस्फोट से बच सके। इसे सेवेर्नी द्वीप पर फोड़ा गया। ये आर्कटिक के काफी अंदर है। इसके बाद अमरीका और रूस में 1963 में एक संधि पर हस्ताक्षर हुए। इसके तहत परमाणु परीक्षणों को हवा में नहीं किया जाएगा। इसे धरती के नीचे करना तय किया गया। इसके बाद से अमरीका और रूस ने किसी भी तरह कोई बड़ा परीक्षण करने के बजाय छोटे-छोटे परमाणु हथियारों को बनाना शुरू किया।
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