स्वीडन का दावा: लंबे वक्त तक पाबंदियों में ढील कोरोना से लड़ने के लिए कारगर, कड़े नियमों पर जोर एक बयान के अनुसार कुत्तों में 30 करोड़ घ्राण कोशिकाएं होती हैं जबकि मनुष्यों में केवल 60 लाख होती हैं। ऐसे में बीमारी का पता लगाने में कुत्ते विशेष रूप से सहायक हो सकते हैं। इस अध्ययन की मदद से के द्वारा कुत्तों की सहायता से उन लोगों में कोविड-19 का पता लगाने का प्रयास किया जाएगा जिनमें इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई देते।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार सूंघकर कोविड-19 का पता लगाने में सक्षम कुत्तों का इस्तेमाल अस्पताल या व्यावसायिक इमारतों में किया जा सकेगा। दरअसल भीड़ वाले क्षेत्रों में इस बीमारी की जांच करना चुनौती भरा होता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की जांच जुलाई माह में शुरू की जा सकती है।
पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा विभाग में प्रोफेसर सिंथिया ओटो का कहना है कि गंध पहचानने वाले कुत्ते वोलेटाइल ऑर्गेनिक यौगिकों (वीओसी) की मात्रा का पता लगा सकते हैं। इस तरह से यौगिक अंडाशय के कैंसर, बैक्टीरिया जनित संक्रमण और नाक के ट्यूमर में पाए जाते हैं। ये यौगिक मनुष्य के रक्त, लार, मूत्र और सांस में भी होते हैं।
ओटो ने एक वक्तव्य में कहा कि इन कुत्तों की क्षमता कोविड-19 का पता लगाने में बहुत कारगर सिद्ध हो सकती है। शोधकर्ताओं के अनुसार आठ कुत्तों पर यह अध्ययन शुरू किया जाएगा। उन्हें इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वह गंध की पहचान कर सकें। इसके बाद इनका उपयोग किया जाएगा।