
Drone Attack के बाद US-Iran युद्ध का खतरा बढ़ा, अमरीका कर सकता है जवाबी कार्रवाई
नई दिल्ली।अमरीका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बाद खाड़ी देशों का माहौल गरमाता जा रहा है। बीते एक महीने में ओमान की खाड़ी में दो बार तेल टैंकरों पर हुए हमले के बाद अब गुरुवार को ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ( iran revolutionary guards ) ने एक अमरीकी ड्रोन को मार गिराया है।
अमरीका ने पहले इस बात से इनकार कर दिया। हालांकि बाद में स्वीकार करते हुए कहा कि IRGC ने एक अमरीकी ड्रोन को मार गिराया है। इस घटना के बाद ईरान और अमरीका के बीच युद्ध के बादल मंडराने लगे हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि अमरीका आगे क्या करेगा? क्या अमरीका ईरान के साथ युद्ध छेड़ देगा? या वैश्विक घेराबंदी करते हुए ईरान को कमजोर कर देगा? दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव का गंभीर और बूरा असर खाड़ी देशों में देखने को मिल रहा है।
ईरान पर बढ़ सकता है आर्थिक प्रतिबंध
ओमान की खाड़ी ( Gulf of Oman ) में बीते दिनों दो तेल टैंकरों पर हमले को लेकर अमरीका ने एक वीडियो जारी किया था और ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स को जिम्मेदार ठहराया था। इससे पहले मई में चार तेल टैंकरों पर हमला हुआ था जिसको लेकर सऊदी अरब ने ईरान को दोषी ठहराया था।
हालांकि दोनों ही बार ईरान ने हमले से इनकार किया था। अब इस हमले को लेकर अमरीका और ईरान दोनों एक-दूसरे पर हमलावर हैं।
अमरीकी विदेशमंत्री माइको पोम्पियो ( Mike Pompeo ) ने उन दोनों मामलों के लिए ईरान को जिम्मेदार बताया। इसपर ईरान ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसे जानबूझ फंसाया जा रहा है। एक अधिकारी ने कहा कि कोई ईरान और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच के रिश्ते खराब करने की कोशिश कर रहा है।
पोम्पियो ने कहा था कि तेल टैंकरों पर हमला बिना उकसावे वाले हमले अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सीधे तौर पर खतरा हैं। उन्होंने कहा कि ईरान के खिलाफ ठोस कूटनीतिक कार्रवाई करना ही एक तरीका हो सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ईरान की निंदा करके और अतिरिक्त आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उसे और ज्यादा अलग-थलग किया जा सकता है।
खाड़ी के देशों में हो सकता है हाईब्रिड युद्ध
ड्रोन हमले के बाद ऐसा माना जा रहा है कि अमरीका ईरान पर बड़ी कार्रवाई कर सकता है। लेकिन यदि ऐसा होता है तो ईरान हो सकता है कि हाईब्रिड युद्ध छेड़ दे।
हाइब्रिड युद्ध का मतलब यह है कि ईरान अमरीका से सीधे-सीधे ने भिड़ कर छोटे-छोटे हमलों को अंजाम देना शुरू कर देगा। ओमान की खोड़ी व सऊदी अरब के क्षेत्र में तेल प्रतिष्ठानों को निशाना बनाएगा। इससे पूरी दुनिया में तेल संकट की समस्या खड़ी हो सकती है।
इसलिए संभवतः अमरीका ईरान पर हमला नहीं करेगा। इसके अलावा अमरीका के पास एक शक्तिशाली सेना होने के बावजूद भी समुद्र व हवा में ईरान के साथ लड़ना आसान नहीं होगा।
हां, यह जरूर है कि जिस तरह से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए सांकेतिक हमला करते हैं ठीक वैसे ही ईरान पर भी यही रणनीति अपना सकते हैं। इसके अलावा हमेशा की तरह अपने कठोर बयान व धमकियों से ईरान को दबाने की कोशिश करेंगे।
सीरिया में भी अमरीका ने जो हवाई हमले किए वह भी एक सांकेतिक हमला ही था। इसलिए इस बात का अंदेशा ज्यादा है कि अमरीका ईरान पर योजना बनाकर हमला नहीं करेगा। लेकिन हो सकता हैं कि दुर्घटनाबस युद्ध छिड़ जाए।
अमरीका को मित्र देशों के साथ की जरूरत
यदि अमरीका ईरान पर हमला करता है तो उसे अपने मित्र या सहयोगी देशों के साथ की जरूरत होगा। दरअसल, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे केई मित्र व सहयोगी देश अमरीका को सयंम बरतने की बात कह चुके हैं।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री कह चुके हैं कि यूके अमरीका पर भरोसा करता है, लेकिन वो अपने स्तर पर भी चीजों को देखेगा। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप हमला करने के बजाए कुछ दूसरे विकल्पों की ओर रूख कर सकते हैं।
बहरहाल आगे देखना होगा कि ड्रोन हमले के बाद अमरीका ईरान के खिलाफ क्या कदम उठाता है और इसका क्या असर गल्फ देशों के साथ दुनिया के बाकी देशों पर पड़ता है?
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Updated on:
21 Jun 2019 08:29 am
Published on:
21 Jun 2019 07:37 am
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