हर पहलू पर किया जा रहा गौर इसके लिए राजनीतिक समूहों और उम्मीदवारों की प्रतिक्रिया लेने के साथ ही हर पहलू पर गौर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हाल के हफ्तों में इस मसले पर चर्चा में तेजी आई है। तीन नवंबर को होने वाला राष्ट्रपति चुनाव करीब आता जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से इस बात पर बहस जारी है। क्या राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने से उपयोगकर्ताओं की आवाज को मदद मिलेगी या नुकसान होगा?
मतदाताओं पर प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है विज्ञापनों को रोकने से कुछ समूहों की आवाज को दबाना भी साबित हो सकता है। हालांकि इस बात का भी जोखिम है कि सियासी विज्ञापनों के कारण गलत सूचाना का प्रसार होगा। इससे मतदाताओं पर प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है। फेसबुक के प्रवक्ता ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। हालांकि फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग का कहना है कि वे सियासी नेताओं के विज्ञापनों और पोस्टों को नियंत्रित नहीं करेंगे।
गलत सूचनाओं को न रोकने के आरोप राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने की तैयारी ऐसे समय चल रही है,जब फेसबुक को अपने प्लेटफार्म पर नफरत भरे संदेशों और गलत सूचनाओं को न रोकने के आरोपों का सामना कर रहा है। इसके कारण सोशल मीडिया कंपनी पर भारी दबाव बनाया जा रहा है। यह माना जा रहा है कि इसके चलते सियासी विज्ञापनों पर रोक की तैयारी हो रही है।
फेसबुक द्वारा आधिकारिक तौर पर टिप्पणी आनी बाकी है इस रिपोर्ट पर फेसबुक द्वारा आधिकारिक तौर पर टिप्पणी आनी बाकी है। फेसबुक के एक बहुप्रतीक्षित ऑडिट ने इस सप्ताह खुलासा किया था कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा विवादास्पद पोस्टों को नहीं हटाने का कंपनी का निर्णय ‘गहरी परेशानी खड़ी करने वाला’ था। फेसबुक के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर शेरिल सैंडबर्ग के अनुसार “ऑडिटर्स भी राजनेताओं के तथ्य की जांच न करने की नीति से दृढ़ रूप से असहमत हैं। उनका कहना है कि इससे काफी नुकसान हो सकता है।